उत्तराखंड के युवाओं में प्रतिभा कूट कूट के भरी हुई है . ये युवा आज अपने मेहनत और लगन से अपना और राज्य का नाम ऊँचा कर रहे है । यहां के युवाओं में खेल के प्रति काफी जुनून है और वे हमेशा बढ़िया प्रदर्शन कर प्रदेश का मान बढ़ा रहे हैं।
इसी क्रम में आज हम आपको हरिद्वार और उत्तराखंड का नाम रोशन करने वाली धर्मनगरी हरिद्वार की बेटी आरती से मिलवा रहे हैं जिसने खेलो इंडिया लीग गेम्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए दो स्वर्ण तीन रजत और छह कांस्य सहित 11 पदक जीते हैं
लुधियाना, अमृतसर और पटियाला में आयोजित खेलो इंडिया लीग गेम्स में आरती ने दो स्वर्ण, तीन रजत और छह कांस्य सहित 11 पदक जीते हैं। वर्ष 2018 में रुद्रपुर राज्य ओलम्पिक खेलों में दो स्वर्ण पदक तथा वर्ष 2020 में हल्द्वानी में राज्य ओलम्पिक खेलों में एक स्वर्ण पदक जीता था ।
उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है ताकि भविष्य में उत्तराखंड के लिए और मेडल हासिल कर सकें। उनका कहना है कि प्रतियोगिता की सफलता एक अच्छे साइकिल पर भी निर्भर करती है, इसलिए वह चाहती हैं कि सरकार इसमें उनकी मदद करे ताकि उनका प्रदर्शन बेहतर हो सके.
भारत सरकार एथलीटों की प्रतिभा को सुधारने में मदद करने के लिए काम कर रही है, ताकि वे भारत और विदेशों में भी गौरव और सम्मान ला सकें। आरती एशियाई खेलों के ट्रायल के लिए चुनी जाने वाली उत्तराखंड की पहली साइकिलिस्ट हैं।
आरती के पिता सुरेश पाल का कहना है कि जब वह एशियन गेम्स में आरती देखने गए थे तभी आरती के मन में साइकिलिस्ट बनने का ख्याल आया। आरती प्रतिदिन सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर साइकलिंग करती हैं। वह आरती के साथ पूरी तरह से हैं और वह जो कुछ भी करने का फैसला करेंगे उसमें उनका समर्थन करेंगे।
आरती ने 14 साल की उम्र में साइकिल चलाना प्रशिक्षण शुरू किया और अकादमी में अभ्यास करना जारी रखा। उसके पिता बीएचईएल में टेक्नीशियन हैं।
रेस साइकल्स महंगी होती हैं। सरकार को खिलाडिय़ों को बाइक उपलब्ध करानी चाहिए ताकि वे अपने कौशल में सुधार कर सकें और उत्तराखंड का गौरव बढ़ा सकें।