400 साल पुराने रुद्रपुर के अटरिया माता के मंदिर की है कुछ अनोखी मान्यता , जानिये क्या हैं यहाँ अनजाने रहस्य
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400 साल पुराने रुद्रपुर के अटरिया माता के मंदिर की है कुछ अनोखी मान्यता , नवरात्री में होता भव्य मेले का आयोजन

उधमसिंह नगर में की अद्योगिक सिटी है रुद्रपुर । यहाँ पर कई बड़ी अद्योगिक कंपनी स्थित हैं । परन्तु आज हम आपको यहाँ के पूरे देश में प्रसिद्द अटरिया मंदिर के बारे में  कुछ अनजाने तथ्यों से अवगत करायेगे । अटरिया मंदिर का मंदिर रुद्रपुर के जगतपुरा में स्थित है। 

चैत्र के नवरात्रों में हर साल यहाँ एक विशाल मेला लगता है जिसमे पूरे उत्तर प्रदेश व् उत्तराखंड समेत पूरे देश से श्रद्धालु दूर दूर से आते है। अटरिया माता के मंदिर का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना है । और यह उत्तराखंड के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। ये मंदिर कल्याणी नदी के किनारे स्थित है। 

अटरिया माता की की जाती है पूजा

अटरिया मंदिर, माता अटरिया का मंदिर है । यहाँ की यह मान्यता है की जो कोई भक्त यहाँ माता के दरबार में पूरे विश्वास से मनोकामना करता वह यहाँ जरूर पूरी होती है। अटरिया मंदिर में माता शीतला , माता भद्रा काली , माता सरस्वती व् भगवन शिव और भैरों को पूजा का खास महत्त्व है।

ऐसा माना जाता है की माता अटरिया में  निसंतान दम्पति और दिव्यांग जनों की इच्छा पूर्ती  होती है । अगर मान्यताओं की माने तो माता के दरबार से खाली हाथ कोई भी भक्त वापस नहीं आता है 

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इस मंदिर मे छोटे बच्चों के मुंडन विधान की भी परंपरा बहुत प्रशिद्ध  है । यहाँ हर साल लाखों की संख्या में छोटे बच्चों का मुंडन विधान संपन्न कराया जाता है।

अटरिया मेला है यहाँ का खास आकर्षण

हर साल चैत्र के नवरात्रों में यहाँ पर अटरिया मेले का आयोजन किया जाता है ।  यह मेला इतना भव्य होता है की इसको देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं । यह मेला चैत्र के नवरात्रों में 10 दिनों के लगाया जाता है।

मेले की  शुरुआत अटरिया माता के डोला आगमन  से की जाती है। और नवरात्रों के संपन्न होने पर माता के डोले की विदाई पर इस मेले की समाप्ति होती है।

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इस मेले में दूर दूर से माता के भक्त मंदिर आते हैं और यहाँ आयोजित होने मेले का आनंद लेते है।  मेले में बच्चों के लिए झूले सहित सर्कस जैसे कई आकर्षण के केंद्र बने रहते हैं और बच्चे इसका आनंद उठाते हैं।

मंदिर का है 400 वर्ष पुराना इतिहास

मान्यताओं के अनुसार अटरिया माता का मंदिर 400 वर्ष पुराना है। प्राचीन समय में मुगल आक्रमणकारियों ने इस मंदिर की मूर्तियों को एक कुएं में डाल दिया था ।

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फिर उसके बाद 15 वीं शताब्दी में राजा रूद्र ने यहाँ के आस पास के साम्राज्य की को जीता। कहते हैं एक बार राजा रूद्र शिकार के लिए निकले तब उनका रथ का पहिया एक जगह जमीन में धंस गया था ।

अटरिया माता मंदिर रुद्रपुर, उत्तराखंड | Atariya Mata Mandir Rudrapur, Uttarakhand - Jay Uttarakhandi

अधिक समय लगने पर राजा वही पर विश्राम करने लगा । तभी स्वप्न में उसे माता अटरिया का स्वर सुनाई दिया । माता अटरिया ने राजा से कहा की जहाँपर रथ का पहिया फंसा है उसी स्थान पर नीचे मूर्तियां दबी हैं ।

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माता ने राजा को आया दी की  मूर्तियों को निकाल कर उनकी स्थापना करो और मंदिर बनवाओ ।जिससे  तुम्हारे राज्य हर प्रकार की दुःख आपदा से मुक्त हो जायगा। और हर तुम्हारी  तरफ कीर्ति  बिखर जाएँगी ।

Atria Mela Rudrapur - अटरिया मेला रुद्रपुर - Amar Ujala Hindi News Live

जो भी भक्त  सच्चे  मन से इस मन्दिर मे दर्शन करेगा उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी । ऐसा कह कर माता अंतर्ध्यान हो गयी ।तब रहा रूद्र ने माता के कहे अनुसार सारी मूर्तियों को निकलवा कर उनको मंदिर में स्थापित किया । और माता अटरिया का मंदिर बनवाया । 

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इतिहासिक पेड़ आज भी विराजमान

राजा रूद्र की को जिस पेड़ के नीचे माता का आदेश प्राप्त हुआ वह पेड़ आज भी अटरिया माता के मंदिर में विराजमान है।  इसकी खास बात यह है की इस पेड़ की प्रजाति का किसी को कोई भी अंदाजा नहीं  है।

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इस प्रचीन पेड़ में वटवृक्ष ,पीपल ,नीम आम और बरगत सभी एक साथ नज़र आते हैं । जिस कारन से इसको पंच बृक्ष कहा जाता है

 

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