इन दिनों जोशीमठ के साथ ही मध्यप्रदेश स्थित बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री सुर्खियों में बने हुए हैं। जोशीमठ जहां अपने अस्तित्व पर आए संकट से चर्चाओं का हिस्सा बना हुआ है वहीं पंडित धीरेन्द्र शास्त्री पर चमत्कार का हवाला देकर अंधविश्वास फैलाने के आरोप लग रहे हैं।
इसी बीच पंडित धीरेन्द्र शास्त्री को जोशीमठ की दरारों को ठीक कर अपने चमत्कार साबित करने की बड़ी चुनौती मिली है। आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित इस मठ को पुनः सकुशल बनाने की यह चुनौती वर्तमान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दी है।
दी है जोशीमठ की दरारों को भरने की चुनौती
आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित इस मठ को पुनः सकुशल बनाने की यह चुनौती वर्तमान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि चमत्कार दिखाने वाले उनके जोशीमठ के मकानों में आ गई दरारों को चमत्कार से भर दें तो वो उनका स्वागत करेंगे।
उन्होंने कहा की की अगर सच में पंडित धीरेन्द्र शास्त्री चमत्कार कर रहेहैं तो जोशीमठ के लोगों की ज़िंदगी बचा लें . उन्होंने बाबा बागेश्वर धाम को खुली चुनौती देते हुए कहा की पंडित धीरेन्द्र शास्त्री जोशीमठ की दरारों को सही करके दिखाए और यहाँ राणे वालों को इस मुसीबत से बचा लें ।
हम भी मान लेंगें उन्हें गुरु
आपको बता दें शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जोशीमठ के वाशिंदों को अब कोई चमत्कार ही बचा सकता है। जनता चमत्कार ही चाहती है परन्तु यह चमत्कार कहां हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि बाबा बागेश्वर धाम में जो चमत्कार हो रहे हैं, अगर उनसे जनता की भलाई न हो तो, ये चमत्कार महज छलावा है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है।
अगर वास्तव में बाबा बागेश्वर धाम के जरिये चमत्कार हो रहे हैं तो जोशीमठ की जनता की भलाई में इनका उपयोग होना चाहिए”, उन्होंने बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री को खुली चुनौती देते हुए कहा कि “हम उनके लिए फूल बिछाएंगे, हम उन्हें यह कहते हुए आमंत्रित करते हैं कि आओ, ये जो हमारे मकान में दरार आ गई है, हमारे मठ में आ गई है, उसे जोड़ दो।”
गौरतलब है कि नागपुर में हुई एक कथा के बाद से बाबा बागेश्वर धाम उर्फ़ पंडित धीरेन्द्र शास्त्री सुर्खियों का हिस्सा बने हुए हैं। इस संबंध में नागपुर की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति का कहना है कि जब बाबा बागेश्वर धाम सरकार को चमत्कार साबित करने के लिए चुनौती दी गई है तो वह कथा बीच में ही छोड़कर वह चले गए।
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