उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की बबीता ने अपनी मेहनत से महका दिए बंजर खेत, गुलाब के खेती से बानी स्वरोजगार की मिसाल
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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की बबीता ने अपनी मेहनत से महका दिए बंजर खेत, गुलाब के खेती से बनी स्वरोजगार की मिसाल

उत्तराखंड की महिलायें अपनी कर्मठ शीलता के लिए जानी जाती हैं . कितनी भी विकट परिस्थति क्यों न वह अपनी संशय का हल ढूंढ ही लेती हैं । आज हम आपको उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की एक ऐसी ही महिला से रूबरू करवा रहे हैं । जिन्होंने अपने मेहनत और लगन से बंजर धरती को महका कर कर पूरे गाँव में इसको फैला दिया है .

हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के कनालीछीना प्रखंड के पसामा गांव की रहने वाली बबीता सामंत की । बबिता ने अपने पति के सहयोग और खुद के समर्पण से बंजर खेतों में एक अद्भुत बदलाव ला दिया है. पिछले दो वर्षों में, उन्होंने अथक परिश्रम किया है और अब खेत सुंदर गुलाब के पौधों से लहलहा रहे हैं। इन गुलाबों की मधुर सुगंध दूर-दूर के गाँवों में भी फैल रही है, बहुतों को आनंदित कर रही है।

 

बबीता सामंत के अनुसार, उनके पति  कैप्टन महेंद्र सामंत, जो वर्तमान में मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं, ने अपने शुरुआती दिन गांव में बिताए थे। बंजर खेतों को देखकर उन्होंने उन्हें हरी-भरी हरियाली में बदलने की इच्छा व्यक्त की। हालांकि कार्य चुनौतीपूर्ण था, लेकिन असंभव नहीं था। इसके साथ ही बबीता ने अपने चचेरे भाई कमलेश के सहयोग  अदरक लगाकर खेतों को आवड करने का निश्चय किया ।

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इस प्रकार  की खेती एक बढ़िया शुरुआत साबित हुई और अदरक से 50 हजार का मुनाफा कमाया . फिर उन्होंने  मिलकर पहाड़ के  सीढ़ीदार खेतों में गुलाब की खेती करने पर विचार करना पड़ा। खेतों को तैयार करने के लिए, हमने जमीन की जुताई के लिए पावर टिलर का इस्तेमाल किया।

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बबीता ने  दांगती गांव के स्रोत से पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने की भी व्यवस्था की, जो लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित है। बबीता बताती हैं अपने गुलाब की खेती के प्रयास में राजेंद्र लाल, पसमा के बसंत सामंत, ध्यान सिंह पोखरिया और डांगती के बसंती पोखरिया के काफी सहायता और  समर्थन दिया  और सहयोग के लिए आभारी हैं।

मिलने लगा फ़ायदा

बबीता बताती हैं कि हमारी एक हेक्टेयर भूमि पर बल्गेरियाई दमिश्क गुलाबों का एक सुंदर बगीचा विकसित हो गया है। संघ प्लांट सेंटर (CAP) सेलाकुई द्वारा तीन हजार गुलाब के पौधे लगाने में दी गई सहायता के लिए हम बेहद आभारी हैं।गुलाब की खेती में चुभा नुकसान का कांटा - loss in rose forming

आपको बता दें दमिश्क गुलाब की पंखुड़ियों का मूल्य 1500 से 1800 रुपये प्रति किलोग्राम की सीमा पर है, जबकि इसके तेल का समर्थन मूल्य 5.5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक है। गौरतलब है कि एक किलोग्राम तेल के उत्पादन में 40 से 50 क्विंटल फूलों की जरूरत होती है।

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बबिता सामंत ने जानकारी दी की  उन्होंने एमएसएमई के तहत अपने गुलाब जल उत्पाद के आधिकारिक नाम के रूप में “द हिमालयन हार्वेस्ट” को पंजीकृत किया है। अरोमा प्लांट सेंटर के जिला प्रभारी विजय प्रसाद वामोला ने  बताया कि शीघ्र ही पास्मा में गुलाब जल के लिए मिनी डिस्टिलेशन प्लांट स्थापित किया जाएगा, क्योंकि वहां की जलवायु गुलाब उगाने के लिए आदर्श है.

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