बागेश्वर के लीती गांव की महिलाओं ने बदली गाँव की किस्मत , ऐसे हल की पलायन की समस्या 
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बागेश्वर के लीती गांव की महिलाओं ने बदली गाँव की किस्मत , ऐसे हल की पलायन की समस्या 

पहाड़ की महिलाओं का संकल्प भी पहाड़ जैसा ही ऊंचा और अटल होता है। तभी तो घर गृहस्थी से लेकर खेती-बाड़ी तक की जिम्मेदारी का निर्वहन करती हैैं। उत्तराखंड के गांवों से पलायन एक बड़ी समस्या है।

रोजगार की तलाश में युवा पलायन कर रहे हैैं, फिर भी महिलाओं ने आशा का दामन नहीं छोड़ा और सनातन परंपरा अतिथि देवो भव को मंत्र बनाकर पलायन को पराजित कर रही हैं।

लीती गांव में 30 होम स्टे

सहकारिता व आत्मनिर्भरता के संगम से लीती गांव की 30 महिलाएं उत्तराखंड में हो रहे इस बदलाव की पहचान बन गई हैं। जिन्होंने गांव छोडऩे के बजाय मिलकर प्रयास किया और होम स्टे को आजीविका का आधार बना लिया।

बागेश्वर की 30 महिलाओं ने होम स्टे से बदली तकदीर तो पलायन करने वाले युवा भी लौटने लगे पहाड़ - Home Stay change the life of 30 womens of Liti village Bageshwar

गांव में जब इनके बनाए होम स्टे में मेहमानों की रौनक बढ़ी तो घर छोड़कर गए युवा भी प्रेरित हुए और वापस लौटे हैैं। इस गांव में रहने वाली महिलाओं ने बेरोजगारी और पलायन की समस्या को दूर करने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। गांव की 30 महिलाएं मिलकर क्षेत्र में होम स्टे चला रही हैं।

King Of The Hill: Pahadi House, A Himalayan Homestay | LBB

होम स्टे यानि पर्यटक यहां आकर रहें और यहां के भोजन, रीति रिवाज का आनंद लें, वह भी खालिस स्थानीय तरीके से। इनमें फाइव स्टार होटलों सी बनावट नहीं होती। इसलिए यह कॉन्सेप्ट काफी मशहूर हो चुका है।

लीती गांव में 30 होम स्टे
लीती गांव में 30 होम स्टे

उत्तराखंड  में पलायन की समस्या कितनी गंभीर है, ये हम सब जानते हैं। पहाड़ के सैकड़ों गांव खाली हो गए हैं। कुछ वक्त पहले तक लीती गांव भी पलायन से लड़ रहा था। ऐसे में गांव की महिलाओं ने हिम्मत करके यहां होम स्टे की शुरुआत की।

Celebrating hill women and their role in Springshed development and  governance – SANDRP

 

वैसे तो पूरे उत्तराखंड में ही होम स्टे संचालित हो रहे हैं, लेकिन बागेश्वर जिले के लीती गांव में 30 होम स्टे हैं। कोरोना महामारी के दौरान ये होम स्टे उन लोगों के लिए वरदान साबित हुए जो शहर के प्रदूषण और संक्रमण से दूर प्रकृति के पास आइसोलेशन में रहकर वर्क फ्रॉम होम सुविधा का लाभ उठाना चाहते थे।

6 महिलाओं ने की थी शुरुआत

गांव में होम स्टे की शुरुआत साल 2018 में हुई थी। पहले पहल 6 महिलाएं आगे आईं। उन्होंने अपनी जमा-पूंजी से यह काम शुरू किया। काम जमने लगा तो दूसरी महिलाओं ने भी इस कांसेप्ट को अपनाना शुरू कर दिया।

6 महिलाओं ने की थी शुरुआत 
6 महिलाओं ने की थी शुरुआत

अब सरकार भी होम स्टे के लिए लोन देने लगी है। राज्य सरकार एक होम स्टे बनाने के लिए 30 लाख तक का लोन देती है। इसमें 50 प्रतिशत अनुदान होता है और बाकी के लोन के ब्याज में 50 पर्सेंट की छूट भी होती है।इन महिलाओं का आपसी मेलजोल इनकी कामयाबी की बड़ी वजह है।

 

एक होम स्टे में एक महीने में औसतन 10 से 12 लोग ठहरने आते हैं। बनावटी होटलों की जगह लोग इन होम स्टे में ठहरने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

9 Reasons to Stay at Homestays in Uttarakhand - EcoFnb

अच्छी बात ये है कि होम स्टे से गांव में रौनक बढ़ने के बाद घर छोड़कर बाहर कमाने गए युवा भी वापस लौटने लगे हैं। पिछले कुछ महीनों में कई लोग बाहरी राज्यों से वापस बागेश्वर लौट चुके हैं और होम स्टे के माध्यम से अपनी आजीविका चला रहे हैं।

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