गढ़वाल विवि बॉटनी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने एक नए उपलब्धि को अपने नाम किया है । आपको बता दें बदरीनाथ के नारद कुंड में दुर्लभ प्रजाति के सूक्ष्म शैवाल (काई) की खोज की है। सूक्ष्म शैवाल (काई) की सहायता से बायो डीजल बनाने में मदद मिल सकती है।
शोध के दौरान लिए नमूने
आपको बता दें गढ़वाल विवि के बॉटनी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्रो. डॉ. धनंजय कुमार के निर्देशन में शोध कर रही प्रीति सिंह ने दुर्लभ प्रजाति के सूक्ष्म शैवाल को खोजने के साथ ही इसकी उत्पादकता का विश्लेषण किया है।

उन्होंने बदरीनाथ में तप्तकुंड के नीचे स्थित नारद कुंड की दीवार से शैवाल के नमूने लिए थे। यह शैवाल अभी तक भारत के गुजरात प्रदेश सहित दो देशों में ही पाया गया है।
कैसे बनेगा काई से जैव ईंधन
इस सूक्ष्म शैवाल का नाम सूडोबोहलिनिया है । शोध करने वालों अनुसार सूडोबोहलिनिया बायो डीजल (जैव ईंधन) का सर्वोत्तम विकल्प बन सकता है। इस सूक्ष्म शैवाल के नमूने तप्त कुंड से लिए गए हैं जहाँ हमेशा गर्म पानी गिरता है। इस गरम पानी का तापमान 30 से 40 डिग्री सेल्सियस रहता है।

एक साल तक चले इस स्टडी में उन्हें सामान्य शैवाल के साथ ही चार सूक्ष्म शैवाल की प्रजातियां भी प्राप्त हुई । इनमें तीन तो अन्य जगहों पर पायी जाती हैं लेकिन सूडोबोहलिनिया एक प्रजाति बिल्कुल अलग मिली।