उत्तराखंड के पहाड़ के ये "ट्री मैन" कर रहे हैं पर्यावरण की रक्षा, अकेले अपने दम पर खड़ा किया 53,000 पेड़ों से जंगल
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उत्तराखंड के पहाड़ के ये “ट्री मैन” कर रहे हैं पर्यावरण की रक्षा, अकेले अपने दम पर खड़ा किया 53,000 पेड़ों से जंगल

अगर हमें स्वच्छ हवा और पानी चाहिए तो हमें अपने आसपास के जंगलों और प्राकृतिक क्षेत्रों की रक्षा करनी होगी। आज हम आपको ऐसा ही एक अनोखा कार्य करने वाले पहाड़ के “ट्री मैन” चंदन नयाल से रूबरू करवा रहे हैं जो  पेड़-पौधों को बचाकर जल संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

नैनीताल जिले के सुदूरवर्ती इलाके ओखलकांडा के नाई गांव के 29 वर्षीय चंदन सिंह नयाल एक प्रकृति प्रेमी हैं जो पिछले 10 वर्षों से पर्यावरण की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं।

उत्तराखंड के पहाड़ के ये "ट्री मैन" कर रहे हैं पर्यावरण की रक्षा, अकेले अपने दम पर खड़ा किया 53,000 पेड़ों से जंगल

उन्होंने खुद अपने हाथों से  53000 पेड़ लगाए हैं और 3250 जल संरक्षण तालाब बनाने में मदद की है। उन्होंने पानी के दो स्रोतों को पुनर्जीवित करने का भी काम किया जो अक्सर पानी की कमी से कभी सूख जाते थे।

उत्तराखंड के पहाड़ के ये "ट्री मैन" कर रहे हैं पर्यावरण की रक्षा, अकेले अपने दम पर खड़ा किया 53,000 पेड़ों से जंगल

उनके द्वारा  जल संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा के लिए ये महत्वपूर्ण कार्य नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक के पंटोली ग्राम सभा क्षेत्र में किया जा रहा है ।

उत्तराखंड के पहाड़ के ये "ट्री मैन" कर रहे हैं पर्यावरण की रक्षा, अकेले अपने दम पर खड़ा किया 53,000 पेड़ों से जंगल

प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्विटर पर चंदन सिंह नयाल के काम की प्रशंसा की और जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 2020 उन्हें वाटर हीरो की उपाधि से सम्मानित किया।

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चंदन नयाल  कहते हैं कि हमारे वनों की रक्षा करना बहुत  महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्वयं 53,000 से अधिक बांज के पेड़ लगाए हैं, और उन्होंने अन्य लोगों की मदद से लगभग 60,000 बांज के पेड़ लगाने में मदद की है।

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चंदन ने बताया कि 2012 में उन्होंने पास के जंगल में बलूत के पौधे लगाने शुरू किए। ये पेड़ क्षेत्र में नमी प्रदान करने में मदद करके अन्य प्रजातियों के संरक्षण में मदद करते हैं।

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चंदन बांज के पेड़ लगाकर पर्यावरण को बचाने में मदद कर रहे हैं। बांज के पेड़ नमी प्रदान करके अन्य पौधों को संरक्षित करने में मदद करते हैं, जो उनके आसपास के क्षेत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

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चंदन ने लोगों को इसमें भाग लेने के लिए एक अभियान शुरू किया। ऐसा उन्होंने 120 से अधिक गांवों में जागरूकता सभाएं करके और पर्वतीय क्षेत्रों में चाल-खल, खंटियां और छोटे-छोटे पोखर बनाकर किया।

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इस काम में उनके दोस्तों ने उनकी मदद की। जल संग्रहण के ये संसाधन वर्षा ऋतु में जल धारण कर सकते हैं और इन्हें 12 हेक्टेयर वन क्षेत्र में बनाया गया था। वह अभी भी 400 स्कूलों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

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चन्दन बताते हैं उनका लक्ष्य  पर्वतीय क्षेत्रों में पानी की कमी और पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए उनका लक्ष्य पर्वतीय क्षेत्रों में सघन वृक्षारोपण करना है.

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इसके अलावा बारिश के पानी से बचाव के लिए बावडिय़ां, खाल, खंटिया, जलकुंड भी बनाने होंगे। साथ ही जंगल की आग को कम करने के लिए चौड़ी पत्ती वाले पौधे भी लगाने का  है ।

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