कारगिल विजय दिवस: वीर सपूतों को नमन, बलिदानियों को श्रद्धांजलि देते हुए पुष्कर सिंह धामी का बड़ा ऐलान

26 जुलाई का दिन करगिल युद्ध में भारत को  गौरवपूर्ण जीत दिलाने वाले शहीदों की याद में कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।  वीर सपूतों के अदम्य साहस और शौर्य को पूरा देश नमन और श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज भारतीय सेना के कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को गांधी पार्क स्थित शहीद स्मारक स्थल, देहरादून पर कारगिल शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की, उन्होने शहीदों के परिजनों को भी सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री न इस महत्वपूर्ण दिवस के अवसर पर भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य को नमन करते हुए कहा की भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में अपनी अद्वितीय ताकत और पराक्रम का झंडा फैराया था, अपने पराक्रम की एक मिसाल कायम की।

सेना ने अपने बल, साहस और क्षमता से दुनिया को ये सन्देश दिया की भारत की तरह कोई आँख उठाकर भी नहीं देख सकता।

मुख्यमंत्री ने ये भी कहा की ये आयोजन का एक उद्देश्य ये ही है की नयो पीढ़ी कारगिल की शौर्य गाथा, सेना की वीरता और शहादत से परिचित और प्रेरित हो और हमेशा इसका स्मरण कर देश के प्रति और शहीदों के प्रति सामान और अपने कर्त्तव्य को समझे।

हरबर्टपुर और डीडीहाट में सैनिक कल्याण कार्यालय खोलने की घोषणा

उन्होने कार्यक्रम में आगे कहा की उत्तराखंड के वीर देश के लिए हमेशा बलिदान देने में आगे रहे हैं। ऐसे अनेक साहसी किस्से सैन्य इतिहास में दर्ज हैं। उनके बलिदान और उनकी स्मृति को हम हमेशा याद रखेंगे, कभी मिटने नहीं देंगे।

CM धामी ने अपने बचपन के बारे में भी बताया, कहा कि मेरा बचपन सैन्य अनुशासन और संस्कारों के बीच बीता है और देश के इन्ही वीर सैनिको को देख कर ही उन्हें भी देश के प्रति समर्पित होकर कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होती है।  उन्होने ये भी कहा की देश की सेना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सक्षम और सशक्त हुई है और सेना की यश कीर्ति आज पूरे विश्वभर में फैली है।

आज सेना गोली का जवाब गोले से देने में हर तरह से सक्षम है, उन्होने बताया की राज्य सरकार सैनिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।  इसी भावपूर्ण श्रद्धांजलि के दौरान मुख्यम्नत्री ने हरबर्टपुर और डीडीहाट में सैनिक कल्याण कार्यालय खोलने की घोषणा की। और सैनिक कल्याण विभाग और जिला प्रशासन को शहीद स्मारकों की देखरेख करने के निर्देश भी दिए।

कारगिल युद्ध का इतिहास –

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद वर्षो से चला आ रहा है, 1999 में दोनों देशो की सेनाओं के सीमा विववाद के कारण कारगिल का युद्ध छिड़ गया था।  पाकिस्तान की सेना ने भारतीय क्षेत्र में स्थित कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने “ऑपरेशन विजय” को अंजाम दिया।

भारत के जांबाज़ सेना ने टाइगर हिल और अन्य चौकियों से पाकिस्तानियों को खदेड़ते हुए अपने कब्ब्ज़े में ले लिया था, ये जंग लद्दाख के कारगिल में 60 दिनों से भी अधिक चली थी।  2 लाख भारतीय सैनिकों ने युद्ध में हिस्सा लिया।

करगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिकों ने अपने प्राणो की आहुति दी, पाकिस्तान के 357 सैनिकों ने भी जान गंवाई। 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने युद्ध में विजय की घोषणा कर दी। 

 

 

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