Daksh Mandir: उत्तराखंड को महादेव का देवस्थान कहा जाता है । यहाँ पर महा देव कई रूप में विराजते हैं । इन्ही देवस्थानों में से एक है हरिद्वार के कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर । जो की अपने आप में अद्भुत और अलौकिक है. इस मंदिर में स्थित शिवलिंग धरती लोक के साथ पाताल लोक में भी विराजित है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा दक्ष के आग्रह पर महादेव ने कहा था कि इस जगह भगवान शिव को दक्षेश्वर महादेव के नाम से पूजा जाएगा और सावन का पूरा महीना भोलेनाथ कनखल स्थित दक्षेश्वर में ही वास करेंगे.
दक्षेश्वर महादेव मंदिर कनखल में स्थित है, जो हरिद्वार के पास है। कनखल को भगवान शिव की ससुराल माना जाता है। सावन का महीना शिव भक्तों के लिए खास होता है। (Daksh Mandir)
इस मंदिर का नाम सती के पिता राजा दक्ष प्रजापित के नाम पर रखा गया है। इसे 1810 में रानी दनकौर द्वारा बनवाया गया था और 1962 में इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
इसी स्थानपर देवी सती ने त्यागे थे प्राण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ का आयोजन किया था. इस आयोजन में राजा दक्ष ने सभी देवी-देवताओं, ऋषियों और संतों को आमंत्रित किया था, लेकिन इस यज्ञ में राजा दक्ष ने महादेव यानी भगवान शंकर को आमंत्रण नहीं भेजा था.
यज्ञ की कथा में राजा दक्ष ने भगवान शिव का बहुत अपमान किया था । माता सती अपने पति भगवान् शिव का अपमान नहीं सुन सकीय और क्रोधित हो गयी . जिसके बाद देवी सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण दे दिए थे. (Daksh Mandir)
जिसके बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर अपनी जटाओं से वीरभद्र को पैदा किया था. भगवान शिव ने वीरभद्र को राजा दक्ष का सिर काटकर यज्ञ को ध्वस्त करने का आदेश दिया था.
भगवान विष्णु, ब्रह्मा और देवी-देवताओं ने भगवान शिव को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन महादेव का क्रोध शांत नहीं हुआ.
उसके बाद सिर कटे राजा दक्ष ने भी भगवान शिव से क्षमा मांगी, तब भगवान शंकर ने राजा दक्ष की माफी स्वीकार कर भगवान विष्णु, ब्रह्मा और देवी-देवताओं के आग्रह पर राजा दक्ष को बकरे का सिर लगाया था. (Daksh Mandir)
दक्षेश्वर के रूप में विराजित हैं शिव
राजा दक्ष के आग्रह पर भगवान शिव ने कहा था कि यहां दक्षेश्वर महादेव के नाम से गंगाजल चढ़ाने व पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. वो सावन के पूरे माह कनखल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में ही वास करेंगे.
भगवान शिव का ये मंदिर सती के पिता राजा दक्ष प्रजापित के नाम पर है। जिस यज्ञ कुण्ड में सती ने प्राण त्यागे वहां दक्षेश्वर महादेव मंदिर बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि आज भी यज्ञ कुण्ड मंदिर में अपने स्थान पर है। (Daksh Mandir)
मंदिर के पास गंगा के किनारे पर दक्षा घाट है, जहां शिव भक्त गंगा में स्नान कर भगवान शिव के दर्शन कर आंनद को प्राप्त करते है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी बताते हैं कि दक्षेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग धरती लोक के साथ पाताल लोक में भी स्थित है. (Daksh Mandir)
विश्व में दक्षेश्वर महादेव शिवलिंग एकमात्र ऐसा शिवलिंग है, जो आकाशमुखी नहीं बल्कि पातालमुखी है. वहीं, उन्होंने बताया कि भगवान शिव दुनिया के सबसे पहले सर्जन थे, जिन्होंने सबसे पहले राजा दक्ष को बकरे का सिर लगाया था. (Daksh Mandir)
मंदिर हरिद्वार बस स्टेशन से केवल 4 किमी दूर है। हरिद्वार उत्तर भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।हरिद्वार रेलवे स्टेशन मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन है।जॉली ग्रांट देहरादून हवाई अड्डा मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा है। मंदिर दिल्ली हवाई अड्डे से 210 किमी और देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से 35 किमी दूर है।