उत्तराखंड की होनहार बेटियां अपने अनोखे टैलेंट के दम पर पूरे प्रदेश सिर गौरव से ऊँचा कर रही है . चाहे कोई भी फील्ड हो हर जगह अपने पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिला कर अपनी चल रही है . ऐसे ही एक होनहार बेटी के बारे में आज आपको हम बता रहे हैं जिसे जानकार आपको भी गर्व की अनुभूति होगी .
हम बात कर रहे है देवभूमि जनपद चमोली के गडोरा (पीपलकोटी) की वर्षा बंडवाल की . जिन्होंने एक ऐसे क्षेत्र में अपना हुनर दिखाया है जहाँ पर अभी तक केवल पुरूषों के एकाधिकार है . जी हाँ वर्षा बंडवाल एक ढोल वादक हैं . ढोल वादन में वर्षा के हाथों के जादू से निकलने वाली थाप सभी को मोहित कर देती है.
ढोल गर्ल के नाम से हो रही हैं प्रशिद्ध
आपको बता दें ढोल गर्ल वर्षा बंडवाल चमोली के आदर्श राजकीय इंटर कॉलेज गडोरा की छात्रा हैं . वर्षा बंडवाल ने गत वर्ष पीपलकोटी में आयोजित बंड मेले के उद्घाटन में अपने ढोल की थाप से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था था.
वर्षा बंडवाल ने पिछले साल ढोल प्रतियोगिता में जनपद चमोली में प्रथम स्थान और राज्य स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया था.वर्षा बंडवाल बताती है ढोल दमाऊं हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है.
हमारे यहाँ होने वाले हर हर शुभ कार्य, उत्सव, त्यौहार आदि ढोल के थाप के बिना पूरा नहीं होता है . ढोल दमाऊं हर्ष, उल्लास और खुशी का की निशानी है. वर्षा के अनुसार ढोल से एक बार में 600 से 1000 तक ताल निकलते हैं जबकि तबले से 300 ही बजते हैं.
पहाड़ के ढोल को पहुंचना चाहती हैं पूरे विश्व तक
ढोल गर्ल के नाम से मशहूर वर्षा ने बताया की जब उन्होंने पहली बार ढोल को बजाया तो ढोल पर उनकी अंगुलियां अपने आप ही थिरकने लगी थीं. वर्षा ढोल वादन के इस पौराणिक संस्कृति को नयी पहचान देने की कोशिश में लगी हुई है .
वर्षा चाहती हैं की उनकी ही तरह और भी उत्तराखंड की बेटियां इस ढोल वादन कला में आगे आये और पूरे विश्व में पहाड़ के ढोल की गूंज सुनाई दे.आपको बता दें ढोल गर्ल वर्षा को बचपन से ही ढोल से काफी लगाव था .
20 वर्ष की उम्र से ढोल बजा रही रही है उन्होंने अपने इस हुनर से सबको हैरान कर दिया है पहाड की बेटी वर्षा को बंड मेले और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दशोली खंड जिला चमोली में आयोजित मातृशक्ति सम्मेलन में सम्मानित भी किया जा चुका है.