पढ़िए गढ़वाली , कुमाउनी सरस्वती वंदना, होगी माँ सरस्वती की कृपा

Edevbhoomi
पढ़िए गढ़वाली , कुमाउनी सरस्वती वंदना, होगी माँ सरस्वती की कृपा

देवभूमि अपनी भाषा आचार विच्चार के लिए पूरे विश्व में जानी जाती है . यहाँ के लोक गीत कवितायेँ व् गान का अपना ही एक रस है। आज काल के समय में उत्तराखंडी बोली भाषा प्रचार -प्रसार के लिए उत्तराखंड के आदरणीय  शिक्षक नित नए प्रयास कर रहे हैं । इसी क्रम में आज हम आपको श्री रमेश चन्द्र जोशी (सत्यम जोशी) अध्यापक  रा०प्रा०वि० जारा धारचूला, पिथौरागढ़ द्वारा रचित गढ़वाली और कुमाउनी भाषा में सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर रहे हैं .

 

गढ़वाली में सरस्वती वंदना 

नमो भगवती मां सरस्वती
यनू ज्ञान कू भंडार दे,
 पढ़ी- लिखीं हम अग्नै बढ़ जऊं
 श्रेष्ठ बुद्धि  अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती  ……..
कर सकूं हम मनुज सेवा
बुद्धि दे विस्तार दे।
जाति धर्म से ऐंच हो हम
मां यनु व्यवहार दे।
अज्ञानता का कांडा काटी
ज्ञान की फुलारी दे।
पढ़ी-लिखीं हम अग्नै बढ़ जाऊं
 श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती  …….
पढ़िए गढ़वाली , कुमाउनी सरस्वती वंदना, होगी माँ सरस्वती की कृपा
जिकुड़ा माया, कठोर काया
मन म सुच्चा विचार  दे।
क्षमा, दया मन मा ,
बड़ों का आदर सत्कार दे।
हे हंस वाहिनी सरस्वती
 भव सिंधु  पार उतार दे।
 पढ़ी-लिखी हम अग्नै बढ़ जऊं
 श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती माँ  सरस्वती  …….
दुर्व्यसनु का दैंत माता खैंचणा चौंदिशु बिटी।
यानी दे बुद्धि, ताकत हमू तै,
आव न जू रिंगी रिटी।
हे कमलआशनी, वीणा वादिनी प्रेम कू संसार दे।
 पढ़ी-लिखी हम अग्ने  बढ़ जऊं श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती  ……..

कुमाउनी  सरस्वती प्रार्थना 

आगे हमे सरस्वती वंदना को कुमाउँनी भाषा में पेश किया है ।

दैण ह्वै जाए माँ सरस्वती माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए   …..
 हिंग्वाली अन्वार तेरि हंस की सवारी मैय्या हंस की सवारी।
तू हमरी ज्ञानदात्री हम त्यारा पुजारी मैय्या हम त्यारा पुजारी।
बुद्धि दी दिए मति दि दिए माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए।
तेरि कृपा की चाह में , छूं सच्चाई की राह में ,छूं सुण ले माँ पुकार।
जाति धर्म छोडि छाड़ि, नक विचार छोडि छाडि, भल दिए विचार।
ध्यान धरिए भल करिए माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए  …….
पढ़िए गढ़वाली , कुमाउनी सरस्वती वंदना, होगी माँ सरस्वती की कृपा
श्वेत हंस, श्वेत कमल, श्वेत माला मोती।
एक हाथ में वीण छाजि रै एक हाथ में पोथी।
झोली भरिए ,पार करिए माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए  …..
मन को अन्ध्यार मिटाए , ज्ञान को दीपक जलाए ज्ञान को दीपक।
तेरि करछूं मैं विनती , मेरि धरिए लाज मैय्या मेरि धरिए लाज।
ज्ञान दी दिए विवेक दी दिए मां सरस्वती दैण ह्वै जाए। ……
क्रेडिट : यह लेख में दीगयी सरस्वती वंदना को देवभूमि दर्शन से लिया गया है ।

 

उत्तराखंड की सभी रोचक व् नयी जानकारी के लिए ई- देवभूमि के WHATSAPP GROUP से जुडिए Whatsapp, logo Icon in Social Media
उत्तराखंड की सभी रोचक व् नयी जानकारी के लिए ई- देवभूमि के TELEGRAM GROUP से जुडिए Telegram icon - Free download on Iconfinder
Share This Article
Follow:
नमस्कार दोस्तों , हमारे ब्लॉग इ-देव भूमि पर आपका स्वागत है । edevbhoomi.com एक लोकल इनफार्मेशन पोर्टल है जिसके माध्यम से आप, देव भूमि उत्तराखंड के मुख्य जिलों जैसे देहरादून, गढ़वाल , कुमायूं, उधमसिंह नगर , सितारगंज तथा दूरस्थ ग्रामीण इलाकों के बारे में सभी महत्वपूर्ण लोकल जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।