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उत्तराखंड के इन दो युवाओं ने उगाया बंजर जमीन से सोना, ऐसे बदली घोस्‍ट विलेज की तस्वीर

कहते हैं पहाड़ी के लोगों का मेहनत में में कोई भी मुकाबला नहीं कर सकता । उत्तराखंड के पहाड़ी लोगो की लगन का अंदाजा आप हमारी  आज की स्टोरी से लगा सकते हैं ।

अगर आपके दिल में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो बंजर जमीन से भी सोना उगाया जा सकता है।  इस कहावत को सच किया है  पिथौरागढ़ के मटियाल गांव के युवा विक्रम सिंह और दिनेश सिंह ने।

घोस्ट विलेज था मटियाल गांव

पिथौरागढ़ के मटियाल गांव जिले का एक ऐसा गांव है जहां कोई आबादी नहीं रहती थी । पूरा गाँव बंजर हो चुका था ।  इस गांव के सभी लोग सुविधाओं के अभाव में पलायन कर चुके थे , जिस कारण इसको घोस्ट विलेज घोषित हो चुका था

Uttarakhand Polls: Ghost Villages, Symbols of Govt Failure and Neglect of Hilly Areas | NewsClick

फिर कोरोना की महामारी की वजह से देशभर में लॉकडाउन जैसा समय आया जिसके वजह से गांव के युवाओं को अपनी दूर देश की नौकरी छोड़नी पड़ी और गाँव में ही उम्मीद तलाशनी पड़ी । इन्ही में सी एक थे विक्रम सिंह जो मुंबई के एक होटल में और  दिनेश पानीपत में गाड़ी चलाने का काम करते थे।

पिथौरागढ़ के घोस्‍ट विलेज मटियाल काे दिल्ली से लौटे दो युवाओं ने फिर कर  दिया आबाद, देखें तस्वीरें - Ghosh Village Matial of Pithoragarh was re  populated by two youths dinesh ...

गाँव को फिर किया आबाद

विक्रम और दिनेश की नौकरी हाथ से जाने के बाद दोनों ने फिर अपने गांव को फिर से आबाद करने की ठानी । गाँव वापस आकर बंजर जमीन में खेती करना शुरू किया।  हालांकि  उस समय गांव में कोई नहीं रहता था, बस रह गए थे तो बंजर खेत और टूटे फूटे मकान ।

Why this abandoned village is a threat to Uttarakhand

खेती के साथ दोनों ने  गाय-बकरी पालना शुरू किया और उसे ही अपना रोजगार बनाया ।  इन दोनों युवाओं से प्रेरित होकर अन्य लोग भी गांव को  लौटने लगे.

सरकार  से की मदद की गुहार

विपरित परिस्थितियों में ये युवा यहां खेती कर रोजगार कमा रहे हैं, लेकिन इनकी सारी मेहनत पर जंगली जानवरों ने पानी फेर दिया करते है ।

सरकार  से की मदद की गुहार 
सरकार  से की मदद की गुहार

 

हालांकि इन युवाओं की मेहनत का ही नतीजा है कि घोस्‍ट विलेज से यह जगह मटियाल गांव के नाम से दुबारा अपनी पहचान बना चुकी है ।  इन दोनों युवाओं ने उत्तराखंड में रिवर्स पलायन की मिसाल  पेश की है

जिसके बाद अब कोटली में बसे तीन अन्य परिवार भी लौट आए हैं। मुख्यमंत्री पलायन निवारण योजना ऐसे गाँवों में वापस बसने वाले लोगों के लिए प्रावधान करती है। साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं।

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