पहाड़ के ये टीचर महोदय कर रहे हैं कमाल , पढाई के साथ साथ बच्चों को बना दिया ऐसा हुनरबाज़ , हर कोई कर रहा है तारीफ
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पहाड़ के ये टीचर महोदय कर रहे हैं कमाल , पढाई के साथ साथ बच्चों को बना दिया ऐसा हुनरबाज़ , हर कोई कर रहा है तारीफ

पहाड़ के दुर्गम इलाकों में शिक्षा  के क्षेत्र में स्थिति काफी ख़राब है । पहाड़ में अच्छे स्कूलों क साथ साथ अच्छे टीचर्स की भी समस्या रहती है। पड़ाह के दुर्गम स्थानों पर बच्चों में प्रतिभा को निखारने अच्छे शिक्षक आते ही यहाँ से जाने के बारे में सोचते हाँ .

लेकिन आज हम आपको ऐसे  शिक्षक के बारे में बता रहे जिहोने न केवल बच्चों में नए हुनर को विकसित किया बल्कि अपनी शिक्षा के द्वारा बच्चों को इस लायक भी बनाया की वे पूरे देश में देवभूमि का नाम रोशन कर रहे हैं .

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जी है हम बात कर रहे हैं, बागेश्वर जिले की लाहुरघाटी के एकमात्र राजकीय इंटर कॉलेज सलानी में तैनात कला शिक्षक डॉक्टर हरीश दफौटी की, जो इन दिनों पहाड़ के इस दूरस्थतम क्षेत्र के बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे हुए हैं।

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शिक्षक हरीश न केवल बच्चों के जीवन में किताबी ज्ञान का रंग भर रहे हैं बल्कि उनका सर्वांगीण विकास कर जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने का सार्थक प्रयास भी कर रहे हैं।

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बच्चों का किया सर्वागीण विकास 

आपको बता दें की जिस  विद्यालय के छात्र-छात्राएं बीते कुछ वर्षों पहले तक ब्लॉक स्तर की गतिविधियों में भी प्रतिभाग नहीं कर पाते थे, पहाड़ के उसी स्कूल के बच्चे आज प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के कला उत्सव में भी अपना नाम दर्ज करा रहे हैं।

पहाड़ के ये टीचर महोदय कर रहे हैं कमाल , पढाई के साथ साथ बच्चों को बना दिया ऐसा हुनरबाज़ , हर कोई कर रहा है तारीफ

बीते दिनों उड़ीसा में आयोजित हुए राष्ट्रीय कला उत्सव ‘माइण’में खेल खिलौना विधा में प्रथम स्थान हासिल कर इसी विद्यालय में कक्षा 9वीं में पढ़ने वाली मनीषा रावल ने प्रथम स्थान हासिल कर न केवल अपने शिक्षक हरीश दफौटी की मेहनत और लगन का मान बढ़ाया, बल्कि समूचे प्रदेश को भी गौरवान्वित होने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है।

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हरीश दफौटी की प्रथम नियुक्ति वर्ष 2011 में हुई थी। उसके बाद  वर्ष 2013 में उनका तबादला अन्यत्र हो गया परन्तु वहां जाकर भी उनका इस क्षेत्र के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। यही कारण था कि वर्ष 2014 में उन्हें फिर से इसी विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया।

कला के साथ खेलों में भी छात्र दिखाते हैं प्रतिभा

प्राप्त जानकारी के अनुसार बागेश्वर जिले की लाहुरघाटी के एकमात्र राजकीय इंटर कॉलेज सलानी में कला शिक्षक डॉक्टर हरीश दफौटी की प्रथम नियुक्ति वर्ष 2011 में हुई थी। उस समय चमोली जिले की सीमा से लगे इस दूरस्थतम क्षेत्र में सुविधाओं का बेहद अभाव था।

ऐसे में कोई और होता तो अपने तबादले की जुगत भिड़ाने में लग जाता परंतु डॉक्टर हरीश दफौटी ने वहीं रहकर इस दूरस्थ क्षेत्र के बच्चों का भविष्य संवारने का फैसला लिया।

पहाड़ के ये टीचर महोदय कर रहे हैं कमाल , पढाई के साथ साथ बच्चों को बना दिया ऐसा हुनरबाज़ , हर कोई कर रहा है तारीफ

राजकीय इंटर कॉलेज सलानी में कला शिक्षक डॉक्टर हरीश दफौटी और राष्ट्रीय कला महोत्सव में पहला  स्थान प्राप्त करने वाली कक्षा 9वीं की होनहार छात्रा मनीषा रावल को एनसीईआरटी की ओर से गणतंत्र दिवस परेड हिस्सा लेने के लिए  दिल्ली आमंत्रित किया गया।

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आपको बता दें राष्ट्रीय स्तर की कराटे प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल करने वाले शिक्षक हरीश निजी खर्च से विद्यार्थियों की मदद करते हैं। इसके साथ ही वह विद्यालय में रिंगाल, बगेट (चीड़ की छाल) से कलाकृतियां बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं भी चलाते हैं।

आपको बता दें कि शिक्षक दफौटी ने शिल्पकला के संरक्षण के लिए कलांजय कलाधाम की स्थापना भी की है। इस कलाधाम में बने बगेट के फैंसी उत्पादों को जिले में होने वाले प्रमुख आयोजनों में प्रतीक चिह्न के रूप में मंगाया जाता है। इसके लिए उनके एक छात्र प्रमोद को जिला शिल्प रत्न पुरस्कार भी मिल चुका है।

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