कहते हैं अगर आपके अंदर कुछ अलग करने का जुनून हो तो रास्ते खुद ब खुद निकल कर सामने आते हैं। बीते साल में हुए lockdown की वजह से न जाने कितने लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा ।
कुछ तो इसके साथ टूट गए और कुछ लोगों ने इस कठिन समय में अपने अंदर की प्रतिभा को सँवार लिया ।jab पूरे देश में लॉक डाउन चल रहा था . तो बहुत से लोग बेरोजगार हो गए . और खाने पिने तक के मोहताज़ हो गए .
ऐसे हालातों में बहुत सेलोग अपनी प्रतिभा के साथ निखर कर आये और कुछ ऐसा कर दिया जिससे उनके साथ और कई लोगों की किस्मत संवर गयी .
ऐसा ही कुछ नैनीताल जिले के दूरस्थ क्षेत्र मोरा गांव के हीरा सिंह जीना ने किया है जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूट जाने पर खुद का स्वरोजगार शुरू किया और आज अपने स्वरोजगार के बदौलत एक अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं साथ ही दूसरे बेरोजगार युवाओं के लिए प्रेरणा भी हैं।
शुरू किया देसी मधुमक्खी पालन
दरअसल हीरा सिंह लॉकडाउन में नौकरी छूट जाने के बाद मसूरी से अपने गांव आ गए और उन्होंने काफी खोजबीन के बाद देसी मधुमक्खी पालने का विचार बनाया।
आमतौर पर लोग मेलीफेरा प्रजाति की मधुमक्खी पालते हैं, लेकिन हीरा ने देसी मधुमक्खी पालने पर ही विचार किया क्योंकि देसी मधुमक्खी विलुप्त की कगार पर है,और इसका शहद बेहद महत्वपूर्ण है।
करते हैं अच्छी कमाई
यह शहद बाजार में ₹800 से पंद्रह सौ रुपए तक बिकता है। जबकि मेलीफेरा प्रजाति की मधुमक्खी का शहद ₹200 से ₹300 मैं बाजार में आसानी से उपलब्ध है । जानकारी जुटाकर हीरा ने देसी मधुमक्खी पालन शुरू किया।
देसी यानी भारतीय मौन जिसे वैज्ञानिक भाषा में एपिस सिराना इंडिका बोलते हैं। उनकी दो कॉलोनी से शुरुआत की। अब हीरा देसी मधुमक्खी पालन से अच्छी कमाई कर रहे हैं । देसी मधुमक्खी पालन से वे अपने आस पास के क्षत्रों के लोगों रोजगार भी दे रहे हैं ।