उत्तराखंड का जोशीमठ इस समय प्रकृति की मार झेल रहा है . जिसमे कई लोगों के आशियाने उजड़ गए हैं . उन्ही लोगों में शामिल हैं डा. जोशीमठ की ज्योत्सना नैथवाल भी . लेकिन उन्होंने अपनी परेशानी को न देखते हुए यहाँ पर अपने कर्तव्य के पथ पर चल रही है । और लोगों का इलाज़ कर रही है ।
जोशीमठ में कई लोगों को दरारों की वजह से अपना घर छोड़ना पड़ा। ज्योत्सना का परिवार भी इस समय राहत शिविर में रह रहा है क्युकी उनके घर पर भी दरारें आ गई थीं।
उसके बाद भी वे यहाँ पर जरूरतमन्दों के इलाज़ में लगी हुई है । जिसके बाद भी उनके आत्मविश्वास में कमी नहीं आई। भूधंसाव में खुद का घर उजड़ा, मगर अब भी जज्बे के साथ मरीजों का इलाज कर रही हैं डॉक्टर ज्योत्स्ना नैथवाल
आपदा में कर रही लोगों का इलाज़
जोशीमठ की ज्योत्सना नैथवाल का घर यहाँ पर आयी आपदा की भेंट चढ़ गयाहै . उनका पूरा परिवार राहत शिविर में रह रहा है . लेकिन ज्योत्स्ना इस समय अपने परिवार के साथ नहीं बल्कि उन लोगों के साथ कड़ी है जो इस समय इलाज़ के लिए दर व दर भटक रहे हैं ।
इस कठिन समय में ज्योत्सना पूरे मन से और कर्त्तव्यभाव से ड्यूटी कर रही हैं। इस समय जहाँ हर कोई अपने सर के ऊपर के छत के बारे में चिंतित है। मगर ऐसे हालात में डा. ज्योत्सना नैथवाल आपदा में घर उजड़ने के बाद भी पूरी कर्तव्यनिष्ठा से लोगों की सेवा में जुटी हुई हैं।
ज्योत्सना के अनुसार इन दिनों उनकी ड्यूटी का कोई समय निर्धारित नहीं है। सामुदायिक केंद्र में में मरीजों को देखने के साथ ही एमरजेंसी ड्यूटी की भी करनी पड़ रही है।
दरारों के बाद खाली किया अपना घर
आपको बता दें डॉक्टर ज्योत्सना 32 वर्ष की हैं। ज्योत्सना ने 2016 में राजकीय मेडिकल कालेज श्रीनगर से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की थी । उसके बाद उन्होंने वर्ष 2020-21 में उन्होंने एम्स ऋषिकेश से प्राइमरी केयर साइकेट्री का साल का डिप्लोमा कोर्स किया। जिसके बाद ज्योत्स्ना को सीएचसी जोशीमठ में नियुक्ति मिली ।
ज्योत्स्ना पिता दरबान नैथवाल शिक्षा विभाग में वित्त अधिकारी के पद पर कारर्यत हैं साथ ही गढ़वाली लोकगायक भी हैं . डॉ ज्योत्सना का मकान भूधंसाव के चलते दरारें आने के कारण प्रशासन ने खाली करवा दिया।
जिसके बाद उनका परिवार होटल औली डी स्थित राहत शिविर में रह रहा है। लेकिन ज्योत्सना ने इन हालात में भी यहाँ पर प्रभावितों की मदद में लगी हुई हैं । उनके अनुसार अगर हम खुद ही हिम्मत हार जाएंगे तो आपदा प्रभावितों को कौन सभालेगा।