जी हां आज हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले की खत्यारी ग्राम पंचायत मनोज विहार कॉलोनी की रहने वाली कमला की। कमला भंडारी ने महिला सशक्तिकरण की अनोखी मिसाल पेश की है।
खत्याड़ी की मनोज विहार कॉलोनी निवासी कमला भंडारी एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने मधुमक्खी पालन कर आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया है। वह ऐसा अपने जीवन को बेहतर बनाने और दूसरों की मदद करने के लिए भी कर रही हैं।
कमला करती हैं 6 कुंटल शहद का उत्पादन
कमला मधुमक्खी पालन के माध्यम से प्रतिवर्ष लगभग 6 कुंटल तक का शहद का उत्पादन आसानी से कर लेती है। कमला ने मधुमक्खी पालन को ही अपना स्वरोजगार बनाया है । कमला के द्वारा बनाए गए शहद की क्षेत्र में काफी मांग है।
कमला ने खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से मौन पालन करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। कमला ने मौन पालन की शुरुआत अपने घर से ही थी, जिसमें उन्होंने 2013 में अपने घर पर ही 2 बक्सों के साथ मौन पालन शुरू कर दिया था।
शुरुआत में कमला को मधुमक्खी पालन में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन फिर धीरे-धीरे लोग उनके घर पर आकर ही शहद खरीद कर ले जाने लगे।
कमला सात साल से मधुमक्खी पालन कर रही हैं और अब वह हर साल ढाई क्विंटल शहद का उत्पादन कर रही हैं। वह अपने घर से शहद बेचकर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर लेती है।
1 किलो शहद लगभग ₹700 का
कमला के द्वारा बनाए गए शहद का मूल्य 1 किलो लगभग ₹700 का है। कमला शहद द्वारा लगभग 4 लाख तक की आय अर्जित कर लेती हैं।
कमला भंडारी ने कुछ साल पहले शहद का उत्पादन शुरू किया था। पहले तो इसकी मार्केटिंग करने में काफी दिक्कतें आईं। लेकिन अपने आसपास के लोगों से बात करके वह अपनी पहुंच बढ़ाने में सफल रहे और अब लोग खुद ही उनसे शहद खरीदने आते हैं।
कमला जहां मधुमक्खी पालन से अच्छा खासा पैसा कमा रही है वहीं दूसरी ओर वह महिलाओं को भी इस कार्य के लिए प्रेरित करती हैं । ताकि महिलाएं भी स्वावलंबी बन सके ।
कमला ने अब तक 50 से अधिक महिलाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी दिया हुआ है । इसके साथ ही उन्हें मधुमक्खी के बॉक्स भी उपलब्ध करवाए हैं।