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उत्तराखंड की ख़ुशी ने दुनिया से जाने के बाद भी कायम की मिसाल , आँखे दान कर जरूरतमंद को दी रौशनी

कहते है नेत्रदान महादान । नेत्रदान से बड़ा कोई भी दूसरा दान नहीं है। आपके इस दुनिया से जाने के बाद भी कोई आपकी आखों से दुनिया देख सकता है । हम तो इस दुनिया से चले जाते हैं लेकिन जाते जाते अगर हम किसी की दुनिया अपनी आखों से रोशन कर जाये तो ये बहुत बड़ा महानता का काम होता है ।

ऐसा ही कुछ किया है हरिद्वारकी ख़ुशी ने । ख़ुशी ने खुद तो  ये दुनिया छोड़ गयी हैं लेकिन अब उनकी आँखों से कोई इस दुनिया को  देख सकेगा । खुसी ने 19 वर्ष की छोटी सी आयु में ही दुनिया को अलविदा कह दिया है लेकिन जाते उन्होंने ऐसा काम किआ है की जिससे वे हमेश यही याद की जायगी ।

बिमारी के चलते हुआ निधन

आपको बता दें हरिद्वार की खुशी अरोड़ा अब  इस दुनिया में नहीं रही  पर उनकी आंखें किसी जरूरतमंद को रोशनी देने के काम आएँगी ।  ख़ुशी अरोरा हरिद्वार के  व्यापारी नेता अजय अरोड़ा की पुत्री थी . ख़ुशी अरोरा  काफी दिनों से अस्वस्थ्य चल रही थी . मंगलवार 6 दिसम्बर को उनका निधन हो गया .

World Eye Donation Day: People raise awareness, say 'it's not just an organ' | Rest of the World News

ख़ुशी के पिता ने बेटी की आंखें दान करने का फैसला किया। जिसके बाद पिता श्री अजय अरोरा द्वारा उनकी आखें किसी जरुरत मंद को दान कर दी गयी हैं  . ख़ुशी राजकीय महाविध्य्लय में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी।

लायंस क्लब से मिली आँखें दान करने की प्रेरणा

ख़ुशी के पिता ने बतायाकि आँखें दान करने करने की प्रेरणा उन्हें लायंस क्लब से जुड़े रामशरण चावला द्वारा मिली . जिसके बाद उन्होंने ख़ुशी की आँखें  दान करने के लिए कदम आगे बढ़ाया . फिर  ऋषिकेश एम्स की ओर से आयी एक टीम द्वारा ख़ुशी की आखों को लेने व् उन्हें किसी जरुरत मंद को लगाने की प्रक्रिया शुरू की गयी.

Donate Eyes in Dr.Ben Eye Care Centre

इससे पहले ख़ुशी को थोड़े दिनों पहले तबियत ख़राब होने पर अस्पताल में भाटी कराया गया था । जहाँ पर तबियत में सुधरने बाद उनकी छुटी भी कर दी गयी थी । परन्तु पिछले हफ्ते अचानक फिर तबीतय खराब होने पर होने पुनः अस्पताल ले जाया गया । जहाँ पर डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। देवभूमि के पिता पुत्री को हम दिल से सलाम  करते हैं जिहोने आँखे दान करने का निर्णय लेकर किसी जरूरतमंद की दुनिया में उजाला भर दिया है ।

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