उत्तराखंड की इस बेटी ने माँ बनकर अपने ही पिता को दिया जीवन , जानकार आप भी कहेंगे कि "धन्य है ये बेटी"
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उत्तराखंड की इस बेटी ने माँ बनकर अपने ही पिता को दिया जीवन , जानकार आप भी कहेंगे कि “धन्य है ये बेटी”

उत्तराखंड की होनहार बेटियो से हमेशा से कुछ न कुछ अलग करने व् लोगों को प्रेरणा देने के कार्य  करती हैं । आज हम आपको ऐसी ही देव भूमि की एक ही बेटी से  करने जा रहे हैं जिसने अपने ही पिता को जीवन दान दिया है ।

जी हां हम बात कर  रहे हैं उत्तराखण्ड के हल्द्वानी की पायल कांडपाल की , जिसने नवरात्रि के पावन मौके पर अपने पिता को लीवर डोनेट कर अपने पिता की जान बचाकर पिता और बेटी के रिश्ते को और मजबूती दी है।

सेना से रिटायर हैं विपिन कांडपाल

लीवर की बीमारी से जूझ रहे पिता विपिन कांडपाल 1988 से 2009 तक भारतीय सेना में रहे. इसके बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया. हल्द्वानी में 2011 में सिक्योरिटी गार्ड एजेंसी के माध्यम से समाज सेवा में बढ़-चढ़ कर भाग लेते रहे हैं. विपिन कांडपाल को अचानक पता लगता है कि उनका लीवर साथ नहीं दे रहा है.

हल्द्वानी के चिकित्सकों ने उनको AIIMS ऋषिकेश भेजा. AIIMS ऋषिकेश  के डॉक्टरों ने लीवर खराब होने की बात कहते हुए दिल्ली के अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया. दिल्ली  Institute of Liver and Biliary Sciences ने

खोज शुरू की. पर निराशा हाथ लगी. थक हारकर परिवार विपिन को गुरुग्राम मेदांता हॉस्पिटल (Medanta Hospital) ले गए, जहां विपिन कांडपाल की तबीयत बिगड़ती जा रही थी.

लीवर डोनेट करने में आई तमाम अड़चन

डॉक्टरों ने परिवार के ही सदस्यों द्वारा लीवर डोनेट करने का ऑप्शन बताया. लीवर डोनेट करने के लिए पत्नी आगे आती हैं, लेकिन टेस्ट में लीवर फैटी होने की बात सामने आ जाती है. बेटा अंडर वेट निकलता है, जो पढ़ाई कर रहा है. बड़ी बेटी प्रिया तिवारी लीवर डोनेट करने को कहती है.

उत्तराखंड में पिता के लिए जीवनदाता बनी बेटी, लीवर डोनेट कर बचाई पिता की जान | HNN 24x7

लेकिन उसके विवाहित होने के कारण कानूनी, कागजी दांवपेंच आड़े आ गए. विपिन कांडपाल की छोटी बेटी पायल कांडपाल (Payal Kandpal) रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली से आंखों का डॉक्टर बनने की पढ़ाई कर रही है. पिता को इस हालत में देख उसने अपना साहसी कदम उठाते हुए अपने पिता को लीवर डोनेट करने की बात कही.

अपना भविष्य छोड़ दिया लीवर

लेकिन रिश्तेदार, डॉक्टर्स पायल को उसके करियर, भविष्य को लेकर समझाते रहे, लेकिन पायल ने पिता के प्यार और उनकी जान बचाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी. अपने पिता को अपना 60% लीवर डोनेट कर दिया. डॉक्टर्स का कहना है कि पायल का आत्मविश्वास उसे रिकवर करने में मदद कर रहा है. मानसिक रूप से मजबूत बिटिया जल्द ही अपनी पढ़ाई पूरी करने अपने साथियों के बीच होगी.

Positive News: नवरात्रि में पिता के लिए जीवनदाता बनी बेटी, लीवर डोनेट करके बचाई जान

फिलहाल पायल लीवर डोनेट करने के बाद अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रही है. पायल का कहना है कि जिस पिता ने उनको जन्म दिया और आज पाल पोस कर इतना बड़ा किया, अगर उनके लिए एक अंग देकर उनकी जान बचाई जा सके तो इससे बड़ा सौभाग्य नहीं हो सकता है.

 

 

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