कहते हैं जब तक पृथ्वी पर पेड़ पौधे हैं तभी तक मनुष्य जाति का अस्तित्व है . जिस दिन पेड़ ख़तम हो जायँगे हम भी ख़तम हो जायगें . आज के विकास के समय में जिस रफ़्तार से पेड़ों की काटी चल रही है शायद जयदा समय नहीं लगेगा जब पेड़ पौधे भी विलुप्ति की कगार पर आ जायँगे .
लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स से रूबरू करें हैं जिसके जीवन का मकसद केवल पेड़ लगाना है । और वो भी पीपल व् नीम का पेड़ . हम बात कर रहे पीपल बाबा के नाम से मशहूर स्वामी प्रेम परिवर्तन की । जिन्होंने अब तक 2 करोड़ से ज्यादा पीपल के पेड़ लगाए हैं ।
पीपल बाबा यानी स्वामी प्रेम परिवर्तन ने पेड़ लगाने को ही अपना रोजगार बना लिया है .जीवन इसी सेवा भाव में न्यौछावर कर दिया। पीपल बाबा ने 44 साल में 2 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए हैं, और वह अभी भी इस काम में लगे हुए हैं ।
पीपल बाबा ने 18 अलग-अलग राज्यों में लगभग 202 अलग-अलग जिलों में पेड़ लगाए हैं। उन्हें देश भर के लगभग 14,000 स्वयंसेवकों का भी समर्थन प्राप्त है। ये सभी बाबा के साथ काम करने वाले स्वयंसेवक पेड़ों को स्वस्थ और विकसित रखने में मदद करते हैं।
वर्ष 1977 में, जब स्वामी प्रेम परिवर्तन एक बालक थे । उनके बचपन का नाम आजाद था और उनके पिता सेना में डॉक्टर थे। 10 साल की उम्र में आज़ाद को पर्यावरण में बहुत दिलचस्पी थी और अक्सर उनके शिक्षक द्वारा उन्हें संसाधनों के संरक्षण के महत्व के बारे में बताया जाता था।
उनके शिक्षक ने उन्हें बताया की भविष्य में नदियाँ सूख जायँगी और पर्यावरण नष्ट हो जाइएगा और पर्यावरण की की रक्षा , जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण का समाधान केवल पेड़ों से किया जा सकता है।
आजाद ने घर आकर अपनी दादी को बताया कि उसने एक पेड़ देखा है। दादी भी जानती थीं कि पेड़ महत्वपूर्ण हैं, इसलिए उन्होंने उनसे कहा कि उन्हें एक पौधा लगाना चाहिए।
प्रेम ने बताया कि वह उसी दिन अपने माली चाचा के घर गया और नर्सरी से 9 पौधे खरीदे। आज भी आप रेंज हिल रोड, खिड़की छावनी, पुणे में 9 पेड़ देख सकते हैं। उस दिन से शुरू हुआ सफर आज भी जारी है। पीपल बाबा पौधों की देखभाल करते हैं,
उन्होंने पीपल और नीम के पौधे लगाने का निर्णय लिया। उन्होंने पीपल के इतने पेड़ लगाए कि जब अखबारों और पत्रिकाओं ने उनके बारे में लिखना शुरू किया तो वे उन्हें ‘पीपल बाबा’ कहने लगे। उन्होंने तेजी से घटते पीपल के पेड़ों और जंगलों, प्राचीन पीपल के पेड़ों को बचाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है और वर्तमान में पीपल के पेड़ लगाने और संरक्षण में दुनिया का सबसे बड़ा नाम है।
पीपल बाबा ने अपनी पढ़ाई इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन तक की है। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग कंपनियों में 13 साल तक इंग्लिश एजुकेशन ऑफिसर के तौर पर काम किया। इसी के साथ ही उनकी पेड़ लगाने की यात्रा चलती रही। इसके बाद उन्होंने इसे फुल टाइम काम बना लिया। हालांकि अपने जीवनयापन और फैमिली के लिए वो ट्यूशन्स देते रहे और आज भी देते हैं। परिवार ने उनका इस काम में पूरा साथ दिया।
जॉन अब्राहम ने बाबा के 2010 में, फिल्म स्टार जॉन अब्राहम काम को देखा और इसकी काफी सराहना की है। उन्होंने पीपल बाबा से कहा कि उन्हें बड़े पैमाने पर ले जाना चाहिए और सोशल मीडिया का उपयोग करना चाहिए । इसके बाद बाबा ने 2011 में गिव मी ट्रीज ट्रस्ट बनाया। और अपने इस पेड़ लगाने के सफर को आगे बढ़ाया जो आज भी जारी है ।
गिव मी ट्रीज़ के पास पूरे देश में 11,500 से अधिक स्वयंसेवक हैं। गिव मी ट्रीज ट्रस्ट गाँवों में, राजमार्गों, तालाबों, नदियों, पहाड़ी जंगलों के किनारे, दलदली भूमि, बंजर भूमि और खेतों में काम कर रहा है।