पिथौरागढ़ के एप्पल मैन स्वरोजगार की बनाई मिसाल , कम्प्यूटर इंजीनियरिंग का काम छोड़कर उगा रहे अनोखे सेब
|

पिथौरागढ़ के “एप्पल मैन” स्वरोजगार की बनाई मिसाल , कम्प्यूटर इंजीनियरिंग छोड़कर उगा रहे अनोखे सेब

उत्तराखंड में बेरोजगारी के चलते जहाँ कुछ लोग पहाड़ों से पलायन कर रहे है वही कई लोग ऐसे भी हैं जो शहरो से पहाडो की ओर रूख करके न सिर्फ रोजगार के न‌ए-न‌ए साधन ढूंढ रहे है बल्कि अपने साथ ही दूसरे लोगो को भी रोजगार प्रदान कर रहे है।

आज हम आपको ऐसे ही एक युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं उत्तराखंड के एप्पल मैन  मनोज सिंह खड़ायत से जो  मूल रूप से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सिंटोली गांव के रहने वाले हैं ।  मनोज के पास कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री है. इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी और सेब की खेती करने लगे।

पिथौरागढ़ के एप्पल मैन

मनोज सिंह को गांव में “एप्पल मैन” के नाम से जाना जाता है। वह गाँव में बंजर भूमि पर सुंदर सेब उगाने में सक्षम है, और इसने दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया है।

पिथौरागढ़ के एप्पल मैन स्वरोजगार की बनाई मिसाल , कम्प्यूटर इंजीनियरिंग का काम छोड़कर उगा रहे अनोखे सेब

हुपानी टोक गांव को मनोज सिंह की मेहनत से देश में एक नई पहचान मिली है। वे सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले सेब उगाने के लिए समर्पित हैं, और इसके परिणामस्वरूप उनके गाँव को एक शीर्ष उत्पादक के रूप में मान्यता मिली है।

पिथौरागढ़ के एप्पल मैन
पिथौरागढ़ के एप्पल मैन

पिथौरागढ़ जिले में सेब उगाने वाले सेब मैन मनोज सिंह खड़ायत पहले व्यक्ति हैं। उन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद ऐसा किया और इससे अन्य लोगों के लिए भी सेब उगाना संभव हो गया।

Manoj Singh Khadayat Apple Horticulture Of Pithoragarh. उत्तराखंड: मनोज ने इंजीनियरिंग छोड़ गांव में की सेब की खेती, लोग इन्हें 'एप्पल मैन' कहते हैं. Pithoragarh News. Pithoragarh ...

मनोज या “एप्पल मैन” ने सेब के बड़े बाग की खेती के लिए कड़ी मेहनत की है। वह मौसमी सब्जियां भी उगा रहे हैं, जो विशेष रूप से स्वादिष्ट और पौष्टिक होती हैं। जहां मिठास और गुणवत्ता से पूर्ण सेब का उत्पादन हो रहा है। अब मनोज  सेब के अलावा सीजनल सब्जियों का भी खेती कर रहे हैं।

25 पेड़ो के साथ शुरु किया उत्पादन

मनोज ने स्मार्ट कृषि के क्षेत्र में काम करने के लिए करियर बदलने के बारे में सोचते हुए 2017 में अपने सेब के पेड़ों पर काम करना शुरू किया। उन्होंने  सेब के 25 पेड़ो के साथ उत्पादन करना शुरू किया।

Why are apples grown only in Himachal Pradesh and not in Uttarakhand? - Quora

इसके पश्चात मनोज के द्वारा अलग-अलग तरह के सेबो उगाने के बाद बड़े पैमाने पर दूसरे पौधों की प्रजातियां उगाई जाने लगीं। इनमें विदेशी सुपर चीफ, रेड काफ, सुपर डिलीशियस और कैमस्पार्स शामिल हैं।

सेब की ये प्रजातियां 5 से 6 हजार फीट व्  ऊंचे इलाकों में उगाए जाते हैं। वहां इन्हें उगाने वाले मनोज सिंह पहले किसान हैं।

Similar Posts