कहते हैं अगर आपमें कुछ कर गुजरने की हिमायत है तो बड़ी बड़ी दिखात भी आपके सामने नतमस्तक हो जाती है . और आप अपनी राह पर आगे बढ़ते हुए सफलता जरूर पाते हैं . मन में ठान ले तो असंभव काम भी संभव हो जाता है । ऐसा ही कुछ मिसाल पेश की बागेश्वर के रहने वाले पूरन सिंह राठौर ने भी ।
पूरन सिंह राठौर ने अपनी गायन की लोकविधा से पूरे देश में उत्तराखंड को गौरवंगीत किया है । आपको बता दें पूरन सिंह राठौर देख नहीं पाते हैं । 39 वर्षीय पूरन जन्म से ही दृष्टिबाधित हैं। लेकिन उन्होंने अपने हुनर के जरिये पूरी देश में नाम कमाया है ।
दृष्टिबाधित पूरन राठौर उत्तराखंड की पारम्परिक विधाओं के अच्छे जानकार हैं। वह उत्तराखंड के पारंपरिक गीतों, जागर, न्योली, हुडकबौल और लोकगीत राजुला मालूशाही में पारंगत हैं।
वे अपने गायन कला के कई वीडियोस भी बनाते हैं जिसे लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाता है । आपको बता दें हाल ही मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार विजेता पूरन सिंह राठौड़ की कला का जिक्र किया। उनकी सराहना की ।
पूरन सिंह राठौर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के रीमा में रहते हैं . वे एक प्रतिभाशाली लोक गायक हैं, और उन्होंने अपने गायन विधा से बहुत सारे पुरस्कार जीते हैं। प्रधान मंत्री ने मन की बात में जनता से उनके बारे में अधिक जानने का आग्रह किया है, जिससे पूरन सिंह को पूरे देश में पहचान मिली है ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी लोक गायक पूरन सिंह को बधाई और शुभकामनायें दी हैं । और उनके कला को उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ाया देने वाला बताया है /
आपको बता दें पूरन सिंह राठौर को हाल ही में 15 फरवरी को उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को पुरस्कार से सम्मानित किया गया और इसने उन्हें प्रसिद्ध कर दिया। फिर प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात रेडियो संबोधन में भी उनका जिक्र किया।
लोग पूरन और पूरन की लोकशैली को लेकर अब और भी उत्सुक हैं। पूरन ने कभी भी दृष्टि दोष को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने लोककथाओं में महारत हासिल की और इसके प्रचार में जुट गए, जिससे लोगों की दिलचस्पी और भी बढ़ गई है।
पूरन सिंह एक अपने आस पास के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध कलाकार हैं। उन्हें इस बात की बहुत खुशी है कि आम जनता के बीच लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम मन की बात में उनके काम का जिक्र किया गया।
उनका कहना है कि वह लोक कला को देख नहीं पाने के बावजूद उसे संरक्षित करने का काम करते रहेंगे।