उत्तराखण्ड को कई दुर्लभ जीवों घर मन जाता है । देवभूमि होने की जहा से यहाँ विभिन्न प्रकार के जीवजंतु निवास करते हैं । प्राप्त जानकारी के अनुसार पर्यटन क्षेत्र रानीखेत के चिलियानौला क्षेत्र में एक अतिदुर्लभ उल्लू पाया गया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह उल्लू अतिदुर्लभ राक ईगल आउल प्रजाति का बताया गया है, जो बाजार से सटे जंगलात में घायल अवस्था में पड़ा था। और वहीं से इसका रेस्क्यू किया गया।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम अनुसूची में है शामिल
रॉक ईगल उल्लू को शिकार के कारण भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम- 1972 की चौथी अनुसूची में में शामिल किया गया है। हिमालयी राज्य में उल्लू की रॉक ईगल उल्लू प्रजाति डेढ़ हजार मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है, जो अब मुश्किल से ही दिखती है।
डीएफओ द्वारा बताया गया की दुलर्भ रॉक ईगल उल्लू की लंबाई 56 सेमी तक है। राक ईगल आउल सांप, चूहे, खरगोश आदि के बच्चों का भी शिकार करता है। इसे हिरण के छोटे बच्चों का शिकार करते भी देखा गया है। तंत्र- मंत्र में प्रयोग होने के कारन अंधविश्वास के चलते इस प्रजाति का सर्वाधिक शिकार किया जाता है। इससे यह अतिदुर्लभ श्रेणी में पहुंच गया है।
डिग्री कॉलेज के प्राध्यापकों ने पहले देखा
कुछ दिन पहले जब चिलियानौला बाजार से सटे वन क्षेत्र में राजकीय महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दीपक उप्रेती व डा. शंकर कुमार को सामान्य से हटकर उल्लू नजर आया। वह घायल हालत में था और उड़ नहीं पा रहा था।
उसके बाद प्राध्यापकों की सूचना पर डीएफओ उमेश तिवारी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए। इसके बाद महाविद्यालय में ही एनसीसी के सीनियर अंडर अफसर चेतन मनराल ने भी उसे रेस्क्यू करने में मदद दी। डीएफओ भूमि संरक्षण उमेश तिवारी ने अनुसार उल्लू को कड़ी निगरानी में राक ईगल आउल को अल्मोड़ा स्थित रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया है।
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