गणतंत्र दिवस राजपथ देवभूमि की झांकी में दिखी उत्तराखंड के लोक कला की छाप , देवभूमि के ऐपण ने मोहा सबका मन
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गणतंत्र दिवस राजपथ देवभूमि की झांकी में दिखी उत्तराखंड के लोक कला की छाप , देवभूमि के ऐपण ने मोहा सबका मन

  इस वर्ष का गणतंत्र दिवस पूरे सद्भाव और देशभक्ति  के साथ पूरे देश में मनाया गया । उत्तराखंड में भी गणतंत्र दिवस की छटा कुछ अलग ही रही । यहाँ  पर देश पर मर मिटने वाले सैनिक और देश के जवानों को भाव भीनी श्रदांजलि दी गयी और हर्षोल्लास से इस राष्ट्रीय पर्व को मनाया गया ।
गणतंत्र दिवस राजपथ देवभूमि की झांकी में दिखी उत्तराखंड के लोक कला की छाप , देवभूमि के  ऐपण ने मोहा सबका मन
राजधानी दिल्ली में भी गणतंत्र दिवस  के अवसर पर उत्तराखंड की झांकी की बात इस बार कुछ अलग ही रंग में दिखी . पूरा देश देवभूमि की लोक कला से रूबरू हुआ . और यहाँ के ऐपण कला की चौकियों व बेलों के चटक रंग ने पूरे देश  का मन मुँह लिया ।  उत्तराखंड से 18 कलाकारों को झांकी में शामिल किये गए थे . आइये जानते हैं क्या ख़ास  रहा इस बार उत्तराखंड की झांकी में ।

छाया ऐपण कला का जादू 

इस वर्ष देवभूमि  की झांकी में राम नगर कार्बेट नेशनल पार्क में रहने वाले  करते हुए बारहसिंघा, घुरल, हिरन के अतिरिक्त  अल्मोड़ा का जागेश्वर मंदिर समूह का नज़ारा देखने को मिला ।

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इस झांकी  में इस बार  ऐपण गर्ल के नाम से मशहूर रामनगर निवासी मीनाक्षी खाती जाकी में दिखये गए  मंदिर के किनारों को ऐपण की बेलों से सजाया गया था।

गणतंत्र दिवस राजपथ देवभूमि की झांकी में दिखी उत्तराखंड के लोक कला की छाप , देवभूमि के  ऐपण ने मोहा सबका मन

इसी लिए झांकी में  सरस्वती चौकी भी बनाई गई। ‘उत्तराखंड की झांकी के नाम  को वसोधारा ऐपण कला से सजाया गया । इसमें में कुमाऊं के पारंपरिक छोलिया नृत्य और बेडू पाको की धुन सुनाई पड़ी । साथ झांकी में उत्तराखंड के पारम्परिक  छोलिया नृत्य को दर्शाया गया

दिखा वसंत पंचमी का संगम

इस  गणतंत्र दिवस के दिन ही वसंत पंचमी का संगम भी देखने को मिला ।  देवी सरस्वती की उपासना के लिए खासकर एक तरानुमा बनाया गया । इसमें पांच कोण बनते है। इसे पंचशिखा, पंचानन, स्वस्तिक भी कहा  जाता है। इस आकृति को सृष्टि की रचना का सूचक भी माना जाता है। ये पंचकोण संसार के पंचतत्वों-पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्नि के संकेतक भी है।

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झांकी को सजाने वाली वसोधारा ऐपण का प्रयोग घरों में पूजा की जगहों पर किया जाता है। साथ ही घर के अंदर प्रवेश करने वाली देहली पर यह आदर सत्कार और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।

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वसोधारा ऐपण में गेरू से विषम संख्याओं में लाइन  का निर्माण किया जाता है। कई जगह पे ये धौड़ या धौड़े के नाम से भी  जाता है। जिसके चित्रण के बिना कोई भी ऐपण अधूरा माना जाता है।

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