

जंगलों को आग से बचाएगी रिंगाल
रुद्रप्रयाग जिले के विभिन्न इलाकों में आग के कारण जंगल राख हो रहे हैं, वहीं जगत सिंह का मिश्रित वन आग की लपटों से कोसों दूर है. इस जंगल में कभी भी आग नहीं लगती है, जिससे ये पयावरण में काफी मदगार साबित होता है।
जगत सिंह जी ने अपनी मेहनत की बदौलत एक हरा भरा जंगल तैयार किया है, जो अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायक है. इस जंगल को देखने में विदेशों से भी पर्यटक आते हैं और यहांकी की तारीफ किये बिना रह नहीं पाते.
अब जगत सिंह जी जंगली की मेहनत से लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही उनकी आजीविका भी सुदृढ़ हो रही है. और लोग पलायन छोड़ कर अपनी ही गाँव कसबे में रिंगाल की मदद से अपना काम शुरू कर रहे हैं ।
रुद्रप्रयाग में उगने वाला रिंगाल कई स्थानीय परिवारों को रोजगार भी दे रहा है. मिश्रित वन में रिंगाल की तीन सौ से ज्यादा झाड़ियां हैं, जिनका एक चरणबद्ध तरीके से डेढ़ से दो वर्ष में कटान हो रहा है. और इस साल लगभग 8 क्विंटल रिगाल निकला गया है।
रिंगाल से बढ़ी रोजगार की संभावना
रिंगाल के पेड़ से प्राप्त लकड़ी से टोकरी, डाली, छापड़ी, सूप, हथकंडी, अनाज रखने के लिए कंटेनर्स (कुन्ना), कंडी, पैनदान, फूलदान, टी-ट्रे, कूड़ादान, मैट सहित कई उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. पर्यावरणविद, विशेषज्ञ जगत सिंह जंगली के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में रिंगाल के जरिये रोजगार की काफी संभावनाएं मौजूद हैं.
यहां के युवाओं को रिंगाल को अपना रोजगार का अच्छा साधन बनसकता है। उनके अनुसार मिश्रित वन में रिंगाल की तीन सौ से अधिक झाड़ियां हैं, जो प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के साथ ही स्थानीय हस्तशिल्पियों के रोजगार का जरिया भी बन रही हैं.
यहाँ के निवासीयों के लिए जीवन की इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है कि जो जंगल उन्होंने बसाया था, वही आज उनकी जीविका का साधन बन रहा है और हर तरफ से क्षेत्र के लोगों के काम आ रहा है.
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