देवभूमि के इन बच्चों को चुना गया है वीरता पुरस्कार के लिए , एक तो भाई की जान बचने के लिए भिड़ गया इस आदमघोर जानवर से
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देवभूमि के इन बच्चों को चुना गया है वीरता पुरस्कार के लिए , एक तो भाई की जान बचने के लिए भिड़ गया इस आदमघोर जानवर से

कहते है जानहितो जहाँ है . आज के टाइम में लोग पहले अपनीजान बचते हैं फिर कही जाकर किसी दूसरे की सुरक्षा  के बारे में सोचतेहैं . लेकिन अपनी देव भूमि के कुछ हिम्मती बच्चे ऐसे भी हैं जो समय पड़ने पर अपनी जान की परवाह नहीं किये बैगैर दूसरों कीजां बचाते है । इन्ही बहादुर बच्चों में शामिल है रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले नितिन, पौड़ी गढ़वाल के आयुष ध्यानी एवं अमन सुंद्रियाल

इन तीनो को इनकी बहादुरी के लिए इस वर्ष के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार  से प्रधनमंत्री द्वारा 26 जनवरी  के अवसर पर नवाज़ा जाएगा । इससे पहले भी उत्तराखंड के 14 बच्चों को इस वीरता पुरूस्कार से सम्मानित किया जा चूका है ।

8 साल के नितिन ने किया गुलदार का सामना

आपको बता दें रूद्रप्रयाग के  8 साल के नितिन ने एक आदमघोर  गुलदार का सामना किया था । बात 12 जुलाई 2021 की सुबह की है। नितिन और उसके भाई सुमित का सामना एक आदमखोर  गुलदार से हो गया था . तभी गुलदार  नितिन के ओर लपका . नितिन ने बहादुरी से गुलदार का सामना किया । फिर  गुलदार नितिन को छोड़ कर कर उसके भाई सुमित पर झपटा ।

देवभूमि के इन बच्चों को चुना गया है वीरता पुरस्कार के लिए , एक तो भाई की जान बचने के लिए भीड़ गया था इस आदमघोर जानवर से

ये देखते ही नितिन ने एक डंडे की सहायता से गुलदार पर वार किया ओर अपनी व् अपने भाई की जान बचाने में कामयाब हो गया। नितिन की बहादुरी से दोनों भाई नितिन ओर सुमित की जान बच गयी

आयुष और अमन ने स्कूल को बचाया जंगल की आग से

ऐसे ही बहादुरी का परिचय दिया है नैनीडांडा के 9वीं कक्षा के छात्र आयुष ध्यानी और अमन सुंद्रियाल ने।  इन दोनों ने अपने स्कूल को जंगल में लगी आग काबुझा कर बचाया ।  आयुष ओर आमन ने अपनी प्रधानाध्यापिका के साथ मिलकर  जंगल में लगी आग बुझाया जो की विकराल रूप ले सकती थी ।

देवभूमि के इन बच्चों को चुना गया है वीरता पुरस्कार के लिए , एक तो भाई की जान बचने के लिए भीड़ गया था इस आदमघोर जानवर से

इन बहादुर बच्चों को इस वीरता के लिए वीरता पुरूस्कार से सम्मानित किया जाएगा . अभी राज्य बाल कल्याण परिषद ने वीरता पुरस्कार के लिए इन बहादुर बच्चों के नाम भारतीय बाल कल्याण परिषद दिल्ली में  भेजे हैं।  आपको बता दें इस पुरस्कार के अंतर्गत विजेताओं को  एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। साथसाथ  इन सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी प्रदान जाती है।

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