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देहरादून से अमरीका यूरोप तक पहुँचता है सनराइज बेकरी का स्वाद , लाजबाब बेकरी का स्वाद , जानिये क्या है अनोखे स्वाद की कहानी

देहरादून में अंग्रेजी शासन काल से सिर्फ शिक्षा के लिए नहीं बल्कि बेकरी उत्पादों के लिए भी  देश विदेश में अपनी एक अलग पहचान रखता है. जी हां देश की आजादी के बाद हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे के चलते 1947 से सरदार हरनाम सिंह जौली का परिवार देहरादून के पलटन बाजार में आ गया.

3 पीढ़ियों से परिवार ने बेकरी में तैयार होने वाले अपने केक, बिस्किट और रस्क की गुणवत्ता बरकरार रखी है. जौली परिवार के बेकरी उत्पादों का स्वाद देहरादून से यूरोप लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है.

नाम से ही काफी है 

सनराइज बेकरी नाम से मशहूर देहरादून घोसी गली से संचालित होने वाली इस बेकरी के तीन आइटम की लोकप्रियता इस कदर है कि लाख प्रयासों के बावजूद ग्राहकों की डिमांड पूरी नहीं कर पाते. बेकरी में तैयार होने वाले केक की रेसिपी अंग्रेजी शासन काल के कारीगरों ने सनराइज के संचालक रहे सरदार हरनाम सिंह को बताई थी. बिस्किट और रस्क की रेसिपी खुद हरनाम सिंह पाकिस्तान के चकवाल से अपनी खानदानी परम्परा वाले स्वाद के साथ देहरादून ले लाये थे.

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आज सरदार हरनाम सिंह नहीं हैं. उनके 4 पुत्रों में 2 अमरजीत सिंह जौली और हरमीत सिंह जौली बीते वर्ष कोरोना कॉल में चल बसे. दोनों ही बड़ी शिद्दत से अपने पिता की बेकरी को चलाते थे. हालांकि अब तीसरे पुत्र जगजीत सिंह जौली बड़े भाई दीदार सिंह सहित तीसरी पीढ़ी के बच्चे सनराइज बेकरी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में जुटे हैं. जगजीत सिंह के मुताबिक तीसरी पीढ़ी के बच्चे पढ़ लिखकर आज भले ही बड़े-बड़े ओहदों पर हैं, लेकिन अपनी खानदानी परंपरा बेकरी को आगे बढ़ाने के लिए उनका सहयोग भरपूर मिलता है.

स्वाद की गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं

देहरादून पलटन बाजार घोसी गली से संचालित होने वाली सनराइज बेकरी के संचालक जगजीत सिंह जौली ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बताया कि भले ही आज कंपटीशन के दौर में एक से बढ़कर एक आधुनिक मशीनों और कई तरह की एडवांस सामग्रियों का मिश्रण कर बाजार में बेकरी का सामान मिलता हो, लेकिन उन्होंने इन सब से दूरी बनाई हुई है. उनके यहां आज भी खानदानी स्वाद की गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं किया गया है.

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जगजीत जौली बताते हैं कि हम लोग आज भी हर आइटम को तैयार करते समय अपनी आंखों के सामने हर गुणवत्ता को ध्यान रख तैयार करवाते हैं. ताकि हमारे खानदानी स्वाद का जायका पहले की तरह ही बरकरार रहे. जगजीत सिंह बताते हैं कि उन्होंने अपने पिता हरनाम सिंह से सीखा कभी भी अपनी बेकरी में बनने वाले आइटम की गुणवत्ता से समझौता नहीं करना है. यही वजह है प्रिजर्वेटिव फ्री आइटम लेने लोग देश विदेश से एक परिवार की तरह दौड़े चले आते हैं.

विदेशों से आते हैं ग्राहक

जगजीत सिंह जौली कहते हैं कि उनकी बेकरी में आने वाले ग्राहक एक परिवार की तरह दशकों से जुड़े हैं. यही कारण है कि उनके रस्क, बिस्किट और केक लेने लोग अधिक ख़र्चा उठा न सिर्फ दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, गुजरात और पंजाब जैसे अनेक शहरों से आते हैं, बल्कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका जैसे देशों से भी लोग यहां पहुंचते हैं. जगजीत सिंह बताते हैं कि उन्होंने आज तक कभी भी अपनी बेकरी के आइटम में कोई प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल नहीं किया है. यही वजह है कि उनके सामान तीन हफ्ते तक ही इस्तेमाल कर सकते हैं.

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सनराइज बेकरी देहरादून की सबसे पुरानी बेकरियों में शामिल है. सरदार हरनाम सिंह जौली का परिवार वर्ष 1947 में पाकिस्तान के चकवाल जिले से देहरादून आकर बस गया था. यहां इस परिवार ने सनराइज बेकरी के नाम से लजीज जायकेदार बेकरी उत्पाद बनाने की खानदानी परंपरा को कायम रखा हुआ है. पाकिस्तान में भी जौली परिवार बेकरी उत्पाद बनाने के पेशे से जुड़ा था. तब इस परिवार को वहां रस्क ‘पापे’ के नाम से सभी जानते थे.

 

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