पहाड़ की इस बेटी ने खोला है एक अनोखा हिमालयन कैफे,
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पहाड़ की इस बेटी ने खोला है एक अनोखा हिमालयन कैफे, जहाँ आप ले सकते हैं कॉफी के साथ साथ चित्रकारी और संगीत का मजा

आज कल के युवा नौकरी कर के किसी के इशारों पर नाचना पसंद नहीं करते है । अब वे अपने मन को भाये ऐसे काम में अपना समय लगाते हैं। और अपने रूचि के अनुसार अपने पैशन को फॉलो  करते हैं ।  हम अपने लेखों  के माध्यम  से आपको उत्तराखंड के ऐसे ही युवा और कुछ नया करने का ज़ज़्बा रखने वाले उद्यमियों से मिलवाते हैं । जो कुछ अनोखा कारनामा कर रहे होते हैं ।

आज इसी क्रम में हम आपको रूबरू करा रहे हैं उत्तराखण्ड की  चारू मेहरा से जो अपने एक अलग ही अंदाज में अपना कैफे “हिमालयन हिप्पीस कैफ़े” चलाती हैं । जहाँ आप मन के भावों को चित्रकारी  के रूप में व्यक्त कर सकते हैं ।

सोचिए अगर आप किसी कैफे में ऑर्डर करते हैं और उसी समय संगीत शुरू हो जाता है, या आप पेंटिंग करना शुरू कर देते हैं। जब तक आपका ऑर्डर आता है, तब तक आप दीवार, कुर्सी, टेबल या जो कुछ भी पेंट करना समाप्त कर चुके होते हैं। या कोई नया गीत तैयार कर लेते हैं । और इतने में आपके सामने आ जाता है कुमाउंनी तड़के के साथ बने व्यंजनों और गरमागरम  कॉफी ।
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आपको यह सब एक खूबसूरत कल्पना  लग सकता है, लेकिन इन कैफे में से एक है उत्तराखंड की बेटी चारू मेहरा चारू मेहरा। इसका नाम है “द हिमालयन हिप्पी कैफे”।
पहाड़ की बेटी चारू का अनोखा हिमालयन कैफे
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कसारदेवी  अल्मोड़ा में एक जगह है जो अपने खूबसूरत दृश्यों और दिलचस्प आकर्षणों के लिए जानी जाती है। दुनिया भर से लोग इसे देखने आते हैं। कसार देवी एक ऐसी जगह है जहां कई लेखक, संगीतकार और यात्री घूमने आते हैं।

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कसारदेवी 1960 के दशक में हिप्पी आंदोलन के कारण प्रसिद्ध हुई। भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ, विश्व प्रसिद्ध संगीतकार बॉब डायलन और कैट स्टीवंस, साहित्यकार डी.एच. लॉरेंस, कवि एलन गिन्सबर्ग, हॉलीवुड अभिनेत्री उमा थुरमन जैसी अन्य प्रसिद्ध हस्तियां इस स्थान पर आ चुकी हैं।

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कसारदेवी में “हिमालयन हिप्पी कैफे” है। इसमें बहुत सारी कला और संगीत की सजावट है, जिससे पता चलता है कि यह एक ऐसी जगह है जहां लोग इन चीजों का आनंद ले सकते हैं। पर्यटकों के आने और कुछ समय के लिए ठहरने के लिए भी यह एक लोकप्रिय स्थान है।

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चारु इसके बारे में बात करते हैं, मैंने अपने दादा बिशन सिंह मेहरा से सीखा कि चीजों को स्वार्थ  के बजाय, अगर आप उन्हें सभी के भाग लेने के लिए खोलते हैं, तो वे मनोरंजक और बहुत सुंदर हो जाते हैं। उनके दादाजी पेशे से शिक्षक थे और उन्हें किताबों का शौक था।

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चारू बताती हैं कि फाइन आर्ट्स पढ़ने के बाद उन्हें हमेशा ऐसा लगता था कि वह किसी तरह के नौकरी के काम में फिट नहीं बैठतीं। उसने अपना कैफे शुरू करने में हाथ आजमाने का फैसला किया और अपने दोस्तों की मदद से ऐसा करने में उसे दो साल लग गए।।

चारू फाइन आर्ट की छात्रा रही है। उन्हें कुमाउनी खान-पान और संस्कृति का भी भरपूर ज्ञान है, साथ ही वे मनोविज्ञान से भी परिचित हैं। जिससे उनके लिए   कैफे चलाना बहुत आसान हो गया है।  चारु कहती है की अपने कैफे में वो ऐसा मौहौल देना चाहती हैं जिससे  उनके मेहमान उनके भोजन का आनंद लें, न कि केवल इसे खाएं।

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चारु बताती  हैं, हमारा कैफे एक ऐसी जगह है जहां लोग इसे संगीत सुनने, पेंट करने और लिखने के लिए अपनी निजी जगह के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह रचनात्मकता के लिए एक बेहतरीन जगह है।

चारु ने इस जगह को पांच साल के लिए किराए पर लिया है और इसे परफेक्ट जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। उसे दोस्तों से बहुत मदद मिली है, लेकिन वह अभी भी अपनी जगह पर अपने सपने साकार करने की  कोशिश में लगी है । लेकिन अभी भी सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं, लेकिन चारू ने इसे पूरा करने की ठान ली है।

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चारु अपने काम को बहुत लगन और मेहनत से कर रही हैं । और अक्सर उनकेकैफ़े में आने वाले लोग नहीं थकते . हाल ही में जाने-माने यूट्यूब ब्लॉगर अभिनव अनुभव सपरा भी चारू के काम की तारीफ करने पहुंचे हैं.

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कैफे सुबह 10 बजे खुलता है और रात 10 बजे बंद हो जाता है। यदि आप जो कर रहे हैं वह आपको पसंद है, तो आप उसमें लीन हो जाएंगे। वो अपनी कला में लगातार नई चीजों की कोशिश कर रही है। चारु ने  पहले कबाड़ से चीजें बनाई हैं, लेकिन अब वह पुनर्नवीनीकरण सामग्री से भी चीजें बनाती हैं और नए खाद्य प्रयोग भी करती हैं।

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