यह माना जाता है कि देव भूमि उत्तराखंड के लगभग हर परिवार से एक व्यक्ति भारतीय सेना में अवश्य होता है । सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंटों में से एक कुमाऊं रेजिमेंट उत्तराखंड से ही है। इसी वजह उत्तराखंड में सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है ।
सैन्यधाम शहीदों के प्रति सम्मान का एक उदाहरण है । सैन्यधाम देश की सेना के शौर्य और गौरवशाली इतिहास को संजोने के रखने का स्थान होगा। सैन्यधाम को 50 बीघा भूमि पर और 63 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है ।
4 धामों व् शहीदों के आंगन से लायी गयी मिट्टी
देहरादून के गुनियालगांव में निर्माणाधीन सैन्यधाम में उत्तराखंड के चारों धामों से पवित्र मिट्टी भी लाई जा रही है । इसके बाद सैन्यधाम के लिए प्रदेश के 1734 शहीद सैनिकों के आंगन से कलश में मिट्टी लायी गयी है।
बनेगा बाबा जसवंत सिंह व् बाबा हरभजन सिंह का मंदिर
सैन्य धाम के प्रवेश द्वार का नाम पूर्व सीडीएस जनरल विपिन रावत के नाम से रखा जायेगा। वहीं प्रांगण में बाबा जसवंत सिंह और हरभजन सिंह का मंदिर भी बनाया जायेगा।
सैन्यधाम में द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर अब तक उत्तराखंड के जितने भी सैनिक शहीद हुए हैं, उन सबके चित्र लगाए जाएंगे। इसके साथ ही उन सभी के बारे में जानकारी भी दी जाएगी।
इसके अलावा सैन्य धाम में लाइट एंड साउंड सिस्टम, टैंक, जहाज के साथ ही अन्य सैन्य उपकरण व् लाईट एण्ड साउण्ड शो, म्यूजियम व ऑडिटोरियम भी बनाये जायेगे, हमारे जिससे हमारे युवा आने वाले युगों-युगों तक इन शहीदों को याद कर प्रेरणा ले सकेंगे।
2023 में होगा निर्माण पूर्ण
यह सैन्यधाम 2023 में बनकर तैयार हो जायगा । यह पूरे राष्ट्र में एक अलग मिसाल बनेगा। उत्तखण्ड वीरों की भूमि है। उत्तराखंड देश की सेना का 17.5% की पूर्ति में योगदान देने वाला देशभक्त राज्य है
ई – देव भूमि के तरफ से देश की सेना में शहीद हुए सभी वीरों को हम सलाम और नमन करते है । यदि आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी हो तो इसे , अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करें ।