देवभूमि उत्तराखंड महज एक औपचारिक नाम ही नहीं बल्कि एक ऐसा दिव्य धाम है, जो कई सारी खूबियों को स्वयं में समेटे हुआ है। और यहाँ के मांगल गीत हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग हैं।
आज उत्तराखंड के कई युवा अलग अलग क्षेत्रों में उत्तराखंड की संस्कृति के संरक्षण और उसके प्रचार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहें हैं। उन्ही में से एक नाम है नंदा सती का जिन्हे अब उत्तराखंड के लोग मांगल गर्ल के नाम से जानने लगे हैं।
मांगल गर्ल” के नाम से विख्यात नंदा सती
आज हम आपको बता रहे हैं पहाड़ की उस होनहार बेटी नंदा सती के बारे में जिन्होंने उत्तराखंडी लोकगीत मांगल को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक नया आयाम देकर आधुनिक युवा पीढ़ी के समक्ष स्वयं को एक उदाहरण के रूप में पेश किया है।
देवभूमि की “मांगल गर्ल” के नाम से विख्यात नंदा सती मूल रूप से जनपद चमोली के पिंडर घाटी के नारायण बगड़ की हैं ।
विलुप्त हो रहे मांगल गीतों को दिलाई पहचान
उत्तराखंड में मंगल अवसर पर गाये जाने वाले गीतों को मांगल गीत कहते हैं। शादी ,विवाह ,नामकरण , जनेऊ आदि शुभ कार्यों पर उत्तराखंड की संस्कृति में शुभ गीत गए जाते हैं। मांगल गीतों को महिलाएं पारम्परिक वेश भूषा पहन कर ,समूह में एक सुर में गाती हैं।
नंदा सती को दादी से विरासत में मांगल गीत गुनगुनाने का हुनर मिला था और नंदा ने मात्र 20 वर्ष की आयु में ही मांगल गीत गाना शुरू कर दिया था। हारमोनियम वाद्य का भी नंदा को अच्छा ज्ञान है। जो उनके यूट्यूब वीडियोज से पता चलता है।
वर्तमान में उत्तराखंड के मांगल गीत अब विलुप्ति की कगार पर हैं। लोग अपनी लोक परम्परा को भूलते जा रहे है। इन्ही विलुप्त होती उत्तराखंड की परम्परा को दुबारा जीवंत करने की कोशिश कर रही उत्तराखंड की मँगलेर बेटी नंदा सती।
उत्तराखंड चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लॉक के नारायणबगड़ गावं की रहने वाली नंदा सती की पढाई तक विज्ञानं वर्ग से नारायणबगड़ में ही हुई।
वर्तमान में नंदा सती हेमवती नंदन विश्वविद्यालय श्रीनगर में पढाई कर रहीं हैं। मांगल गर्ल नंदा सती बहुमुखी प्रतिभा की धनी है। नंदा एक होनहार छात्रा होने के साथ साथ एक अच्छी खिलाडी भी है। NSS विंग की होनहार भी है।
इसके साथ साथ संगीत की अच्छी जानकार भी है नंदा। हारमोनियम वाद्य का भी नंदा को अच्छा ज्ञान है। जो उनके यूट्यूब वीडियोज से पता चलता है।
कोरोना काल में हुनर को और चमकाया
कोरोना काल जहा कई लोगो के लिए दुखद स्वप्न की तरह आया तो कई लोगों ने आपदा में अवसर तलाश कर अपने हुनर को और चमकाया। उन्ही में से एक नाम है नंदा सती का ,जिन्होंने कोरोना काल में घर में रहकर अपनी परम्परा को डिजिटल माध्यम , फेसबुक ,यूट्यूब आदि से देश विदेशों तक पहुंचाया ही नहीं ,वरन अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
नंदा सती के इस सफर में उनका पूरा साथ दिया है ,उनकी मित्र किरण नेगी ने। मांगल गीतों पर दोनों को जुगलबंदी देखते बनती है। तबले पर इनका साथ देते हैं। अपनी परम्परा और अपनी संस्कृति से बिमुख हो रहे युवाओं के लिए ये दोनों एक प्रेणा श्रोत हैं।
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