उत्तराखंड का अमृत है ये बेमिसाल सिमई का पौधा, पैरालिसिस का रामबाण इलाज
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उत्तराखंड का अमृत है ये बेमिसाल सिमई का पौधा, पैरालिसिस का है रामबाण इलाज

भारत में पेड़ पौधों से अक्सर हम काफी बिमारियों का इलाज़ करते है। आयुर्वेद को हमारे बीमारी को दूर करने का बड़ा ही उत्तम उपाय माना जाता है । तो आज हम आपको हम बात कर रहे हैं पहाड़ में मिलने वाले  सिमई के पौधे के बारे में ।

 यह पौधा कई औषधीय गुणों से भरपूर है और कई बीमारियों में लोगों के इलाज़ में काम आता है। इसे स्थानीय भाषा में सौं का पौधा भी कहते हैं। सिमई का पौधा उत्तराखंड के गर्म क्षेत्र में पाया जाता है ।

सीमाई  के पौधे के लाभ

सिमई  का पौधा कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। जोड़ों के दर्द के लिए इसके पत्तों का तेल इस्तेमाल में लाया जाता है। इस तेल को जॉइंट्स में लगाने से दर्द दूर होता है

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वहीं पहाड़ों में सिमई  का पौधा से झाड़ने की मान्यता भी बेहद प्रचलित है। उनका मानना है कि जब कभी भी शरीर के किसी हिस्से में हवा पड़ती है यानी वह हिस्सा पैरालाइज होता है तब सौं के पत्तों से उस जगह पर झाड़ा जाता है। इसे 3-4 दिन तक लगातार करने से वह ठीक हो जाता है।

यहाँ मिलता है आसानी से

नैनीताल के ज्योलीकोट, रानी बाग, काठगोदाम, मंगोली खुरपाताल व अन्य क्षेत्रों में सिमई  का पौधा आसानी से देखा जा सकता है।

Growing Ashwagandha | Banyan Botanicals

सिमई  का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है उत्तराखंड का यह पौधा, पैरालिसिस जैसे बीमारियों के लिए है रामबाण इलाज है । इस पौधे में कई बीमारियों को ठीक करने के गुण हैं, जिस वजह से यह पौधा काफी महत्वपूर्ण है।

 

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