उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए तो विश्व प्रसिद्ध तो है ही इसके साथ ही इसे सबसे अलग बनाती है यहां की सभ्यता और यहां के मंदिर। जिस वजह उत्तराखंड का नाम देवभूमि पड़ा है। यहां ऐसे अनेकों मंदिर है जो यहाँ पौराणिक काल से ही मौजूद है।
इन्ही मंदिरों की क्रम में हम आज आज हम आपको बताते हैं पिथौरागढ़ में स्थित जिले का एकमात्र भगवान शिव के अवतार पशुपतिनाथ के मंदिर के बारे में। जिसका बड़ा और भव्य मंदिर रूप काठमांडू नेपाल में है जो विश्व प्रसिद्ध है।
पिथौरागढ़ का पशुपतिनाथ मंदिर
पिथौरागढ़ का पशुपतिनाथ मंदिर पिथौरागढ़ शहर से 8 किलोमीटर की दूरी पर चंडाक में रतवाली की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है । मंदिर के चारों तरफ से बांज के जंगलों से घिरी इस जगह में प्राकृतिक सौंदर्य से मन को असीम शांति मिलती है।
यही पशुपतिनाथ मंदिर से थोड़ा ही आगे चलकर पिथौरागढ़ का प्रसिद्ध मोष्टमानु मंदिर है ।जहां पर मोष्टा देवता की पूजा बारिश के देवता के रूप में की जाती है। दोनों मंदिरों की स्थापना का मूल स्वरूप नेपाल को ही माना जाता है।
जिनकी स्थापना वर्ष 1619 में यहां के निवासियों द्वारा नेपाल यात्रा के बाद मानी जाती है। मोष्टमानु मंदिर में आने वाले भक्त पशुपतिनाथ के दर्शन अवश्य करते हैं.
इस मंदिर में एक पत्थर है जो दिखने में छोटा है, लेकिन उठाने में बहुत भारी है। ऐसा माना जाता है कि यह पत्थर चमत्कारी है और विशेष कृपा वाले लोग ही इसे उठा सकते हैं। मेले के दौरान सैकड़ों लोग इसे उठाने की कोशिश करते हैं,।
मोष्टा देवता को नाग देवता भी माना जाता है। जो लोग नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा नहीं करते वे मेले में उनकी पूजा करने आते हैं।
यह मंदिर पिथौरागढ़ शहर से लगभग 6 किमी दूर है। यह पवित्र मंदिर मोष्टा देवता को समर्पित है, जिन्हें इस क्षेत्र का देवता माना जाता है।
स्थानीय लोक कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण एक संत ने करवाया था वे संत नेपाल से आकर इस स्थान पर बसे थे और इस मंदिर को नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति माना जाता है।
शिवरात्रि को यहां होती है विशिष्ट पूजा
पशुपतिनाथ मंदिर हमेशा यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। जहां भगवान् शिव के कई रूपों की मूर्ति स्थापित की गयी है। नवरात्रि के दिनों और शिवरात्रि को यहां विशिष्ट पूजा का आयोजन किया जाता है।
प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर मंदिर का प्रांगण में एक हरा भरा मैदान भी है। पिथौरागढ़ का यह पशुपतिनाथ मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पर्यटन का विशेष केंद्र भी बन सकता है ।
इस मंदिर के संरक्षण के लिए स्थानीय लोग मांग भी करते आये है । पर्वतीय संस्कृति के जानकार जुगल किशोर पांडेय ने पशुपतिनाथ मंदिर का संरक्षण कर धार्मिक पर्यटन के रूप में इसे विकसित करने की बात कही हैं.