जोशीमठ त्रासदी से पूरा उत्तराखंड शोक में है। जोशीमठ में रहने वालेभारी मन से अपने आसियाने को छोड़ कर पलायन करने पर मजबूर हैं । लेकिन जोशीमठ से एक ख़ुशख़बरी ने इन दिनों आशा की किरण जगा दी है । जोशीमठ से हो रहे पानी के रिसाव में कमी आयी है । जिससे लोगों व् यहाँ पर काम कर हे वज्ञानिकों ने रहत की सांस ली है ।
पिछले दिनों आयी रिपोर्टों में पानी का स्थित काम होने के साकेत मिले है । यहाँ पर डिस्चार्ज होने वाले पानी में में 100 एल.पी.एम की ज्ञेयत्वात नोट की जा रही है . आपको बता दें जोशीमठ में रहने वालों को पीछे कई दिनों से घरों के नीचे से पानी की आवाजों लोगों को डरा रही थी। यहाँ पर कई जगहों पर कहीं खुद व् खुद ही बड़े पानी झरने फूट रहे थे।
540 एल.पी.एम. से 100 एल.पी.एम. की आयी गिरावट
आपको बता दें जोशीमठ के कई घरों में हाल ही में बड़ी बड़ी दरारों से लोगों के मन में काफी डर बैठ गया था . यहाँ पर घरों के रिष रहे पानी की आवाजों से लोग घरों के ढहने से डर रहे हैं . लेकिन इसी बीच अब एक राहत की खबर सामने आई है। जोशीमठ के निचे रिसने वाले पानी में अब में शुरुआत की तुलना में काफी कामी आयी है।
आपको बता दें कि 6 जनवरी को इस पानी का डिस्चार्ज 540 एल.पी.एम. नोट किया गया था । जो अब ये घटकर 100 एल.पी.एम रह गया है। यहाँ पर सीबीआरआई के 10 वैज्ञानिकों की टीम और एनजीआरआई के 10 वैज्ञानिकों की टीम पल पल हर स्थिति पर नज़र बनाये हुए है और जोशीमठ को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं ।
जारी है सर्वेक्षण का काम
वैज्ञानिकों की अलग अलग टीमों जोशीमठ में पानी का रिसाव काम होने की जानकारी के बाद भी अभी खतरा अभी टला नहीं है . यहाँ पर मौजूद लोग भगवान् से इस त्रासदी को डालने के के के लिए प्रार्थना कर रहे हैं । जोशीमठ की रक्षा के लिए यहाँ स्थित नृसिंह देवता मंदिर में पाठ किया जा रहा है।
इसी बीच नए जोशीमठ को बसने के लिए भूमि का चयन भी किया जा चूका है । जोशीमठ से 36 किलोमीटर की दूरी पर पीपलकोटी नाम की जगह पर नए जोशीमठ को बसाने व् यहाँ के लोगों को पुनर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है । जानकारी के अनुसार जोशीमठ में 258 परिवार सुरक्षा के दृष्टि से अस्थायी रूप से विस्थापित किया गया है । रिपोर्ट के अनुसार इन विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 865 है।
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