कैलाश पर्वत ऊँचाई में एवरेस्ट से छोटा होने के बाद भी इसे आज तक कोई फ़तेह नहीं कर पाया।

माउंट एवरेस्ट 29,000 फ़ीट ऊँचा है और माउंट कैलाश 22,000 फ़ीट।

कैलाश के बारे बहुत सी बातें मश्हूर हैं कोई कहता है ये पहाड़ यहाँ था ही नहीं, इसे बनाया गया है।

 कोई कहता है ये पहाड़ खोखला है, इसके अंदर दूसरी दुनिया में जाने का रास्ता निकलता है।

जो भी कैलाश पर्वत को चढ़ने निकला, या तो मारा गया, या बिना चढ़े वापिस लौट आया।

हिन्दू धर्म में कैलाश पर्वत को शिव का घर मानते है, कहते हैं पर्वत पर शिव और पार्वती रहते हैं।

2007 में रूसी पर्वतारोही सिस्टिकोव ने अपनी टीम के साथ कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की।

सिस्टिकोव ने बताया की थोड़ी ही दूरी उनके  सिर में भयंकर दर्द होने लगा। 

फिर उनके  पैरों ने जवाब दे दिया। उनके  जबड़े की मांसपेशियाँ खिंचने लगी, और जीभ जम गयी। मुँह से आवाज़ निकलना बंद हो गयी। 

बेहद तकलीफ के बाद सिस्टिकोव ने अपनी चढ़ाई ख़तम कर दी  

ऐसे ही अनुभव कई पर्वतारोहियों को कैलाश पर्वत की चढ़ाई के दौरान हुए हैं.  

 कैलाश पर बाल और नाखून 2 दिन में ही इतने बढ़ जाते हैं, जितने 2 हफ्ते में बढ़ने चाहि शरीर मुरझाने लगता है। चेहरे पर बुढ़ापा दिखने लगता है।ए

 एवरेस्ट से कम ऊंचाई होने के बाद भी कैलाश पर चढ़ना संभव नहीं है। चारों ओर खड़ी चट्टानों और हिमखंडों से बने कैलाश पर्वत तक पहुँचने का कोई रास्ता ही नहीं है। 

ऐसी मुश्किल चट्टानें चढ़ने में बड़े-से-बड़ा पर्वतारोही भी घुटने तक दे।

श्रद्धा भाव से हर साल लाखों लोग कैलाश पर्वत के चारों ओर परिक्रमा लगाने आते हैं। 

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