श्री नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा सिखों का एक पवित्र तीर्थ स्थल मंदिर है

नानकमत्ता साहिब उत्तराखंड के जिलें उधमसिंह नगर के खटीमा क्षेत्र में देवहा जल धरा के किनारे स्थित हैं। 

 नानकमत्ता गुरुद्वारे का निर्माण सरयू नदी पर किया गया है और नानक सागर डेम पास में ही स्थित है

नानकमत्ता साहिब वह पवित्र स्थान है जहाँ सिक्खों के प्रथम गुरू नानकदेव जी व्  गुरू हरगोविन्द साहिब के चरण पड़े थे

ऐसी मान्यता है गुरु गुरुनानक देव जी ने सन् 1515 में कैलाश पर्वत की यात्रा के दौरान नानकमत्ता का भी भ्रमण किया था

श्री नानकमत्ता साहिब में एक पीपल का सुखा पेड था। जिसके निचे बैठ के गुरुनानक देव जी अपना आसन जमा लिया करते थे।

श्री गुरुनानक देव जी की चरणछोह प्राप्त कर यह पीपल हरा भरा हो गया। 

गुरूनानक जी का अलौकिक चमत्कार देख के सिद्धों योगियों ने ईर्ष्यावश हो कर अपनी योग शक्ति से पीपल के पेड़ को हवा में उड़ा दिया।

गुरूनानक जी ने अपनी कृपा से उड़ते हुए पीपल को अपना पवित्र पंजा लगा के जमीन से 6-7 फुट ऊपर ही रोक लिया।

गुरू जी ने जल में केसर मिला कर पीपल पर छीटे मारे। गुरू जी की कृपा से सूखा हुआ पीपल पुनः हरा भरा हो गया। 

 गुरू जी  उपदेश के दौरान इस स्थान से इस स्थान पर धरती से आवाज आई, नानकमत्ता, नानकमत्ता 

इसीलिए इस स्थान का नाम नानकमत्ता है।

पूरी दुनिया से यहाँ पर संगत आकर इस पवित्र गुरू स्थान पर दर्शन व सेवा करती है। श्रद्धालुओं की मनोकामनायें पूरी होती हैं

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