Dehradun's Manoj took a unique initiative of self-reliance

PM मोदी के लंच से आइडिया लेकर देहरादून के युवा ने शुरू की अनोखी खेती , बने आत्मनिर्भरता की मिसाल

उत्तराखंड के युवा आज हर क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं। वे अपनी क्रिएटिविटी और यूनीक आइडिया से आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बन रहे हैं। चाहे बात खेलकूद की हो या सरकारी नौकरी की हर जगह अपनी पहचान बना रहे हैं।

आज हम आपको देहरादून के एक ऐसे ही युवा से रूबरू करा रहे हैं, जिन्होंने अपने अनोखे आइडिया से एक अलग पहचान बना ली है। हम बात कर रहे हैं देहरादून में ड्रैगन फ्रूट की खेती में अनोखी पहल करने वाले मनोज सेमवाल की।

पीएम मोदी के खाने से आया आईडिया

आपको बता दें मनोज सेमवाल 2017 में देहरादून के होटल में काम करते थे, जहां प्रधानमंत्री मोदी का उत्तराखंड यात्रा के दौरान प्रवास हुआ था.  वहां प्रधानमंत्री को उनके भोजन के दौरान ड्रैगन फ्रूट सर किया जा रहा था। यह देखकर मनोज सेमवाल के मन में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का आईडिया आया और वहां से उनके सफर की शुरुआत हुई।

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उसके बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती की संभावनाएं तलाश करनी शुरू कर दी। जब कोरोना लॉकडाउन हुआ तो खाली समय में मनोज ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के बारे में सोचा। उन्होंने व्यापक शोध किया और यूट्यूब जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से ड्रैगन फ्रूट की खेती पर जानकारी इकट्ठी की।

घर की छत पर कर रहे हैं ड्रैगन फ्रूट की खेती

2021 में, मनोज ने अपने घर के पास के बगीचे में लगन से ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की। उन्होंने खेती के लिए चंडीगढ़, गुजरात और वियतनाम से 250 ड्रैगन फ्रूट पौधे मंगवाए।

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आपको बता दें  मनोज ना केवल अपनी छत और आंगन में बल्कि एक खेत में भी ड्रैगन फ्रूट की खेती सफलतापूर्वक कर रहे हैं। वर्तमान में, वह कुल 450 गज क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट लगा रहे हैं।

सामना किया कई मुश्किलों का

मनोज सेमवाल बताते हैं कि कृषि को बढ़ावा देने के उनके इनोवेटिव आइडिया और प्रयासों के बावजूद उन्हें उत्तराखंड सरकार से कोई सहायता नहीं मिली है। इसके विपरीत, केंद्र सरकार सक्रिय रूप से ड्रैगन फ्रूट की खेती का समर्थन कर रही है और 50,000 हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती करने का लक्ष्य रखा है।

इसके अलावा, कई राज्य सरकारें भी इस फल की खेती में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को सहायता प्रदान कर रही हैं।

गुजरात सरकार इसकी खेती को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है। हालाँकि, उत्तराखंड सरकार के पास ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर फिलहाल कोई योजना नहीं है, जिससे मनोज सेमवाल के लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। यह अत्यधिक अनुशंसित है कि ऐसे नवीन विचारों को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना विकसित की जाए।

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