पीलीकोठी हल्द्वानी की रहने वाली दीक्षिता जोशी आज उन छात्रों के लिए प्रेरणा है जो देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC की तैयारी कर रहे हैं।
इस परीक्षा में सफल होने के लिए जहाँ छात्र कोचिंग लेने के लिए अपने घरो से निकलकर दूसरे शहरों तक जाते हैं वहीँ उत्तराखंड की इस बेटी ने बिना किसी कोचिंग के सिर्फ अपनी मेहनत, लगन, संकल्प से परीक्षा पास की, और आल इंडिया 58 रैंक हासिल कर अपना अपने परिवार और उत्तराखंड का नाम रोशन किया है।
दीक्षिता के पिता फार्मासिस्ट हैं और एक हॉस्पिटल में कार्यरत हैं, माँ दीपा जोशी खीमराम आर्य गवर्नमेंट इंटर कॉलेज पहारपानी में हिंदी की लेक्चरर है। घर में शुरू से ही पढ़ाई का अच्छा माहौल मिला, दीक्षित शुरू से एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी रही हैं । उनकी स्कूली शिक्षा हल्द्वानी के आर्यमन विक्रम बिरला स्कूल से हुई हैं। ग्रेजुएशन की पढ़ाई जीबी पंत विश्वविद्यालय से (2013 -2017 ) में पूरी की।
इसके पश्चात उन्होंने आईआईटी मंडी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की जिसके साथ साथ उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विसेज (UPSC) परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी.
दीक्षिता 2019 से इस परीक्षा में बैठ रही हैं, ये उनकी अटूट मेहनत और एकाग्रता का ही सुखद परिणाम हैं की अपने तीसरे एटेम्पट में साल 2022 में उन्होंने आल इंडिया 58 रैंक के साथ सफलता प्राप्त की।
फोकस और एकाग्रता को बताया सफलता का राज
दीक्षित ने अपने इंटरव्यूज में बताया हैं की विद्यार्थी को अपने हिसाब से तैयारी के लिए एक रणनीति बनानी बहुत ज़रूरी हैं, अभ्यर्थियों को NCERT की किताबों को बहुत अच्छे से पढ़ना चाहिए और नोट्स भी ज़रूर बनाने चाहिए.और उस पर बिना घबराये , पूरे ध्यान और दृढ़ संकल्प के साथ डटे रहना चाहिए। असफलता से घबराये बिना प्रयास जारी रखना बहुत ज़रूरी है
उत्तराखंड को इस बेटी की सफलता पर बहुत गर्व है जिसने खुद पर विश्वास रख इस मुकाम को हासिल किया और UPSC अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा और मिसाल कायम की।