Kashipur News उत्तराखंड के काशीपुर नीरज बना रहे हैं गाय के गोबर से चप्पल, नेम प्लेट और डेकोरेटिव चीज़ें जैसी चीज़ें बनाना शुरू कर, अपने इस अनोखे आईडिया के लिए हो चुके सम्मानित
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Kashipur News: काशीपुर के नीरज बना रहे हैं गाय के गोबर से चप्पल, नेम प्लेट और डेकोरेटिव चीज़ें , अपने इस अनोखे आईडिया के लिए हो चुके सम्मानित

Kashipur News: आपने गाय के गोबर से खाद तो कई बार बनाई होगी। पहले लोग अपने घरों को लीपने के लिए गाय के गोबर का इस्तेमाल करते थे और अब उससे रंग भी बनाया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ उत्पाद, जैसे चप्पल, लोगो, नेम प्लेट और दीया, खाद उत्पादन भी किया जा सकता है ?

आज हम आपको उत्तराखंड के काशी पुर के ऐसे ही एक शख्स से रूबरू करवा रहे हैं जो गाय के गोबर के इस्तेमाल से कई तरह का सामन बना रहे हैं  जिसमे चप्पल , लोगो, नेम प्लेट और दीये जैसी चीज़ें व्  एक फ्रेंडली सजावटी सामान शामिल  है  ।

हम बात कर रहे हैं  काशीपुर के  नीरज चौधरी की  जिन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर  ” श्री बंसी गौ धाम” नाम से एक संस्था की स्थापना  है जिसमे  गाय के गोबर का पयोग करके सारा सामान बनाया जाता है  । Kashipur News

Success Story: सरकारी नौकरी छोड़ गाय के गोबर को अपनाया, अब हो रही लाखों की कमाई - Neeraj Chaudhary left the government job and adopted cow dung, now earning millions

नीरज बताते हैं की ” श्री बंसी गौ धाम” में  गोबर को सुखाया जाता है , फिर इसका  पाउडर बनाया जाता है फिर इस पाउडर को इस सभी अगल अलग चीज़ों को बनाने में प्रयोग किया जाता है । फिर इन्हें पपीते के दूध या अलसी के तेल से पॉलिश करते हैं। नीरज बताते हैं गाय का गोबर एक आसान संसाधन है जो हमें हर घंटे मिलता है, इसलिए हमने इस व्यवसाय के लिए गोबर को शुरुआती सामग्री के रूप में लिया।” Kashipur News

Neeraj Choudhary - Founder and CEO - Shri Bansi Gau Dham LLP | LinkedIn

उत्तराखंड के काशीपुर के नीरज चौधरी गाय के गोबर से इको फ्रेंडली सजावटी सामान बना रहे हैं। वह पिछले छह साल से ‘श्री बंसी गौ धाम’ के नाम से यह काम कर रहा है। उनके उत्पाद पूरी दुनिया में लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।

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उन्होंने आगे बताया, पहले गाय के गोबर को संसाधित करता है, जिसे बाद में सुखाकर पीसा जाता है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप एक ऐसा उत्पाद तैयार होता है जिसमें लगभग 10% या 15% प्राकृतिक गोंद होता है। इस प्राकृतिक गोंद का उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पादों को बनाने के लिए किया जा सकता है। Kashipur News

 

कैसे आया आईडिया

नीरज को यह आईडिया तब आया,  जब उन्होंने गायों को सड़कों पर देखा, जिन्हें उनके मालिकों ने छोड़ दिया था। उन्होंने कहा, ‘करीब पांच साल पहले हमने देखा कि सड़कों पर गायों की भरमार थी और वे अक्सर हादसों का शिकार हो जाती थीं.

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जब किसी डेरी वाले  को अपनी गायों से पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है, या वे बीमार हो जाते हैं, तो उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया जाता है या बूचड़खाने में बेच दिया जाता है। फिर नीरज ने इन गायों को एकत्रित करके उनके गोबर से ” श्री बंसी गौ धाम” की शुरुआत की । Kashipur News

Imageआज नीरज ऑर्डर के हिसाब से हर तरह की डेकोरेटिव चीज़ें बनाते हैं, नीरज एक कंप्यूटर पर डिज़ाइन प्रिंट करके सजावटी सामान बनाता है, फिर सांचों का उपयोग करके वस्तुओं के लिए आवश्यक गाय के गोबर का पेस्ट बनाता हैइस व्यवसाय ने कई महिलाओं और मजदूरों को रोजगार प्रदान किया है।

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नीरज ने 2018 में गाय के गोबर से उत्पाद बनाने में मदद करने के लिए प्रशिक्षण लिया। यह भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर में एक स्टार्टअप कार्यक्रम का हिस्सा था। नीरज वर्कशॉप के जरिए कई लोगों को इस तरह के उत्पाद बनाना सिखाते हैं।

 

नीरज  गोबर से विभिन्न प्रकार की कलाकृति तैयार करने के साथ साथ होली में प्रयोग होने वाले रंगों को भी गोबर से बना रहे रहे हैं ।  वाले काशीपुर के नीरज चौधरी होली को भी गोमय बना रहे हैं। वह होली के लिए रंग-गुलाल गाय के गोबर से तैयार कर रहे हैं। Kashipur News

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कुछ समय पूर्व  नीरज ने गाय के गोबर से देश का सबसे बड़ा 3डी केदारनाथ मंदिर मॉडल तैयार किया है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में इसे दर्ज कर लिया है। इसे देखने के लिये गोवर्धन संग्रहालय दिल्ली में रखा गया है।

 

इसके लिए गाय के गोबर को सुखाने के बाद इस चूर्ण को पीसकर महीन चूर्ण बना लिया जाता है। फिर इस पाउडर को सूती कपड़े से छान लिया जाता है, जिससे यह टैल्कम पाउडर जैसा हो जाता है। Kashipur News

इस बार गाय के गोबर और फूलों से तैयार गुलाल से खेलें होली, आइआइएम से प्रशिक्ष‍ित युवक ने तैयार किया उत्‍पाद - Kashipur resident Niraj make gulal by cow dung and flower

इस चूर्ण में गुलाब जल और जासदूरी के बीज मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है। थोड़ी देर में, पाउडर एक तटस्थ रंग में बदल जाएगा।  इसके अलावा चंदन पाउडर, चुकंदर, गुलाब की पंखुड़ियों से भी अलग-अलग रंग तैयार किए जा रहे हैं।Kashipur News

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