देवभूमि का ये ‘तीर्थस्थल’ बनेगा उत्तराखंड का “नया हरिद्वार”, CM धामी ने जन्मष्टमी पर किया शिलान्यास

कृष्ण धाम: उत्तराखंड का नया धार्मिक केंद्र, धार्मिक आस्था के साथ मुख्यमंत्री ने किया हरिपुर के नए धार्मिक स्थल का शिलान्यास

देहरादून, 7 सितम्बर 2023:  मुख्यमंत्री, श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर हरिपुर(कालसी) के यमुना नदी के तट पर एक नए धार्मिक स्थल, “जमुना कृष्ण धाम,” का शिलान्यास किया।

यह शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना नमामि गंगे के तहत उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र में मुख्यमंत्री द्वारा किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य, गंगा नदी से प्रदूषण को समाप्त करना है और साथ ही सहायक नदियों को पुनर्जीवित करना है जिससे की स्वच्छ जल का लाभ देशवासियों तक पहुँचाया जा सके।

 

कृष्ण धाम: उत्तराखंड का नया धार्मिक केंद्र

यमुना घाट में आयोजित शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री ने यमुना नदी में स्नान किया और उसके बाद जमुना कृष्ण धाम के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया।

उन्होंने इस समारोह के माध्यम से प्रदेश की तरक्की और खुशहाली की कामना की और यह स्थल को उत्तराखंड के और अधिक पर्याप्त संस्कृति और धार्मिक धरोहर का हिस्सा बनाने का प्रयास किया।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्यमंत्री ने बॉलीवुड सिंगर अभिनव चौहान के भजन “हरिपुर में आंनद सजेगा” का भी विमोचन किया, जिससे समारोह में और भी अधिक धार्मिक भावना और उत्सव की भावना बढ़ी।

इस अद्वितीय और महत्वपूर्ण क्षण के साथ, मुख्यमंत्री धार्मिक पूरी आस्था से उत्तराखंड के तीर्थों को और अधिक महत्वपूर्ण बनाने की कड़ी कोशिश में जुटे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, की जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हरिपुर में यमुना घाट का नव निर्माण कार्य एक शुभ संकेत है। उन्होंने बताया की इस तट को विकसित कर नए तीर्थ स्थल के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा, जो पौराणिक मान्यताओं को पुनर्जीवित करने और आध्यात्मिक, सनातन संस्कृति के नए अध्याय को लिखने में मदद करेगा।”

 

क्षेत्र में नए रोज़गार के अवसर

इस परियोजना के अंतर्गत हरिपुर को एक नए धार्मिक स्थल के रूप में विकसित होने का मौका मिलेगा, जिससे क्षेत्र में नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी जाहिर किया कि इससे भविष्य में अधिक संख्या में यात्री और पर्यटक हरिपुर आएंगे, जो इस क्षेत्र को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करेगा।

आज, जमुना कृष्ण धाम का शिलान्यास होने से हरिपुर के उत्तराखंड क्षेत्र में एक नए धार्मिक स्थल का उद्घाटन हुआ है, जिससे पर्यावरण, धर्म, और सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ रोजगार के अवसरों का भी सृजन हुआ है। उम्मीद है कि जौनसार बाबर का क्षेत्र जो अभी तक फलों सब्जियों के उत्पादन के लिए जाना जाता है आने वाले समय में वह हरिपुर धार्मिक स्थल के लिए भी जाना जाएगा।

हरिपुर की दिलचस्प कहानी

हरिपुर का नाम और इसका महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि इसका इतिहास भी बहुत ही रोचक है।

इस स्थल की प्राचीनता और उसके पुराने काल के महात्माओं की कहानियों में ही छुपा है। कईं विजयी हुए राजाओं ने यहाँ अश्वमेध यज्ञ भी संपन्न किए थे। भारतीय पुरातत्व विभाग ने जगत ग्राम बाढ़वाला में गरुड़ आकार की तीन अश्वमेध यज्ञ वेदियों को प्रमाणित किया है।

हरिपुर का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी हरिपुर की यात्रा की थी।

चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी 7वीं शताब्दी में हरिपुर की यात्रा की थी। उन्होंने अपने यात्रा वृत्तांत में हरिपुर के महत्व का उल्लेख किया है। ह्वेनसांग ने लिखा है कि हरिपुर में कई मंदिर और गुरुद्वारे थे। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र था।

अशोक की लाट और भूतपुरी ग्राम के अवशेष हरिपुर के प्राचीन इतिहास की गवाही देते हैं। कल्प ऋषि का मंदिर भी यमुना किनारे मौजूद है। ऐसा कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह जी कल्प ऋषि से मिलने हरिपुर आए थे।

हरिपुर की मान्यता जैसे हरिद्वार:

यदि हम हरिद्वार को धर्मिक मान्यताओं की नगरी के रूप में जानते हैं, तो हरिपुर का पौराणिक महत्व भी उससे कम नहीं था। हरिपुर नगर का स्थान जौनसार बावर के क्षेत्र में है, और यहां पर यमुना नदी का तट है, जो हिन्दू धर्म वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यहां के तीर्थ स्थलों का इतिहास भी बहुत प्राचीन है, और इस जगह को हरिद्वार के तर्ज पर ‘हरिपुर’ कहा जाता था। लेकिन एक आपदा ने इस स्थल को बर्बाद कर दिया, जिसके बावजूद अब फिर से यह स्थल संवर रहा है।

हरिपुर में चार नदियों का संगम:

 

हरिपुर एक विशेष स्थल है, जहां चार पवित्र नदियों का संगम होता है – यमुना, अमलावा, नौरा (अगलाड़), और टौंस (तमसा)। इसे पवित्र क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, और इसकी परिधि लाखामंडल क्षेत्र तक है।

हरिपुर का श्रीकृष्ण से नाता:

हरिपुर का तात्त्विक महत्व केवल नदियों के संगम से ही नहीं है, बल्कि यहां का गहना संबंध श्रीकृष्ण से भी है। भगवान श्रीकृष्ण की चौथी पटरानी के रूप में जाने जाने वाली जमुना जी यहां प्रवाहित होती हैं, और इसके तात्त्विक महत्व का भी ख़ास उल्लेख है।

यमुना जी उत्तराखंड के हरिपुर में बाल रूप में प्रवाहमान हैं। भागवत पुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण ने यमुना जी को वचन दिया था कि वह कलियुग में प्रत्येक श्रावण मास में यमुना से मिलने हरि क्षेत्र हरिपुर आएंगे।

 

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