The doors of the gurudwara will be closed on this date

हेमकुंड साहिब को लेकर आई बड़ी अपडेट, अक्टूबर माह में इस तिथि को बंद होंगे गुरुद्वारे के कपाट 

सिखों के प्रतिष्ठित धर्म स्थल और उत्तराखंड में पांचवें धाम के रूप में माने जाने वाले गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के दरवाजे विशेष रूप से 11 अक्टूबर 2023 को आगामी सर्दियों के मौसम के लिए बंद किए जाने हैं।

यह महत्वपूर्ण घोषणा गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट, नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा द्वारा की गई। गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट, नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा, जिन्होंने इस बारे में यात्रा से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण विवरण साझा किए। गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में 20 मई के शुभ दिन पर श्री हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए पारम्परिक रूप से  खोले गए थे।

11 अक्टूबर, 2023 को बंद होंगे कपाट

उत्तराखंड के एक प्रतिष्ठित सिख धार्मिक स्थल और देवभूमि  में पांचवें धाम, गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब के दरवाजे आगामी सर्दियों के दौरान 11 अक्टूबर, 2023 को बंद होने वाले हैं।

श्री बिंद्रा ने बताया कि 20 मई को श्री हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे। अब तक 2,27,500 श्रद्धालुओं ने गुरु दरबार साहिब में हाजिरी भरी व माथा टेका।

इस दौरान श्रद्धालुओं की अन्य जरूरतों जैसे लंगर पानी और चिकित्सा सहायता पर भी विशेष ध्यान दिया गया। यात्रा के प्रबंधन की जिम्मेदारी गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट को सौंपी गई थी। ट्रस्ट ने किसी भी निराधार अफवाहों पर विश्वास करने के प्रति आगाह करते हुए यात्रा संबंधी किसी भी जानकारी के लिए सीधे उनसे संपर्क करने की सलाह दी।

ट्रस्टियों की बैठक में लिए गया निर्णय

बिंद्रा के मुताबिक श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए श्री हेमकुंड साहिब के कपाट 20 मई को खोले गए थे. अब तक, कुल 2,27,500 श्रद्धालु गुरु दरबार साहिब के दर्शन कर चुके हैं और सम्मानपूर्वक अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर चुके हैं।

आपको बता दें  कि इस वर्ष श्री हेमकुंड साहिब धाम की यात्रा 20 मई को शुरू हुई थी। पिछले वर्षों की तरह, हेमकुंड साहिब की यात्रा बर्फबारी के कारण बार-बार बाधित हुई। और यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विपरीत मौसम में यात्रा को रोकना पड़ा।

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सर्दियों में हर साल श्री हेमकुंड साहिब में काफी मात्रा में बर्फ गिरती है और यात्रा को सुगम करने के लिए भारतीय सेना के जवानों द्वारा इस इसे हटाने का काम किया जाता है । भारत और विदेश से असंख्य श्रद्धालु, गुरु महाराज को माथा टेकने व् अरदास अर्पित करने के लिए प्रतिवर्ष श्री हेमकुंड साहिब आते हैं।

 

 

 

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