हृदय और किडनी रोगों में वरदान है उत्तराखंड की ये सब्जी, हर साल विदेशों में होती है लाखों की सप्लाई

 

उत्तराखंड जहाँ एक तरफ देवी देवताओं का निवास कहलाने वाली देवभूमि है वहीँ प्राकृतिक उपहारों का खज़ाना भी, पहाड़ में बहुत सी वनस्पतियां पायी जाती हैं, इनमें कुछ औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं।
आज ऐसी ही एक वनस्पति के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जो किसी अमृत से कम नहीं है, लिंगड़ा नाम की ये वनस्पति बहुत से रोगो के लिए बेहद फायदेमंद।

पौष्टिक गुणों का खज़ाना, जानिये क्या हैं लिंगड़ा के फायदे

पहाड़ो में बहुत सालो से लोग इसका सेवन करते आ रहे हैं, स्वाद के साथ साथ पौष्टिक गुणों से भरपूर है लिंगड़ा, मधुमेह से लेकर कैंसर जैसी खतरनाक बिमारियों में चमत्कारी लाभ देखने को मिले हैं। हृदय रोग, किडनी की समस्याएं, हड्डी से सम्बंधित रोग, चर्म रोग जैसी बीमारियों के लिए बेहद फायदेमंद है लिंगड़ा।

आजकल की जीवनशैली में हम प्राकृतिक चीज़ों के बजाय आर्टिफीसियल सप्लीमेंट्स की तरफ भागते हैं, महंगे फ़ूड सप्लीमेंट्स, कैप्सूल्स लेना ज़्यादा पसंद करते हैं, जबकि हमारे अच्छे स्वास्थय के लिए प्रकृति ने जो चीज़ें हमे प्रदान की हैं उनसे दूर होते जा रहे हैं, लेकिन जो फायदा हमे नेचुरल फ़ूड से मिल सकता है वो आर्टिफीसियल चीज़ों से नही।

लिंगड़ा में विटामिन ए, विटामिन बी कॉप्लेक्स,ओमेगा-3 फैटी एसिड, आयरन, जिंक, जैसे तत्व प्राकृतिक रूप से मौजूद हैं, लिंगड़ा को अंग्रेजी में Fiddlehead Ferns (फिडलहेड फर्न्स) कहा जाता है, यह उत्तराखंड में मिलने वाली जंगली सब्जी है और पोषण का अच्छा स्रोत है ।

नमी वाले क्षेत्रों में पायी जाती है लिंगड़ा 

उत्तराखंड के नमी और ठंडे क्षेत्रों जो समुद्र तट से करीब 2000 मीटर से 3000 मीटर की ऊचांई पर हो, वहां यह सब्जी गर्मी से लेकर बरसाती मौसम में पायी जाती है – प्राकृतिक तरह से ये जून से सितंबर माह तक होती है, लेकिन अब टिशू कल्चर तकनीक के माध्‍यम से इसका उत्पाद होने लगा है और इसकी मदद से अब इससे किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है।

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संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी) पालमपुर के वैज्ञानिकों की शोध से पता चला है लिंगड़ा यानि ड़ाप्लेज़ियम मैक्सिमम एक बड़े पत्तों का फर्न है, जो कईं मिलियन वर्षों से जीवित चला आ रहा है। यह महत्वपूर्ण पत्तेदार पौधा है हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है, इसका उपयोग सब्जी व आचार के रूप में किया जा सकता है।

इसकाअत्यधिक नरम घुमावदार हिस्सा (क्रोजियर) को जून से सितंबर के मौसम में व्यंजन के रूप में किया जाता है। शोध से हिमालय में इसकी 1200 प्रजातियों का पता लगाया जा चुका है।

अमेरिका तक होती है लिंगड़ा की सप्लाई

भले ही अपने देश में इसके बारे में लोगो को ज़्यादा न पता हो, या कम लोग इसका सेवन करते हो लेकिन विदेशो में इसकी बहुत डिमांड हैं, सुपरफूड कहलाये जाने वाली ये सब्जी उत्तराखंड के साथ साथ हिमाचल प्रदेश में भी पायी जाती है जहाँ इससे लिंगुड़ा कहा जाता है।

इसके नेचुरल पौष्टिक गुणों की वजह से विदेशो में भी इसकी मांग है , उत्तराखंड से इसे अमेरिका सहित अन्य देशों में सप्लाई किया जा रहा है।

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