Gartang Gali is an ideal destination if you want to go on a thrilling trip
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एडवेंचर के शौकीन है तो पहुंच जाएं उत्तराखंड की अद्भुत गरतांग गली , 11,000 फीट ऊंचाई पर यहां का नजारा खड़े कर देगा रोंगटे

अगर आप भी काफी दिनों से किसी एडवेंचरस ट्रिप की तलाश में है ,तो आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जहां का रोमांच को  शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। समुद्र से 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित उत्तरकाशी जिले से करीब 85 किलोमीटर दूर स्थित गरतांग गली पर्यटकों का मुख्य आकर्षण का केंद्र है।

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यहां पर 10500 फीट की ऊंचाई पर मौजूद एक चट्टान को काटकर लकड़ी का मार्ग बनाया गया है। इस मार्ग पर चलते हुए नीचे रहने वाली जहान्वी नदी को निहारना मन डर और रोमांच का अद्भुत संगम की अनुभूति देता है।

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150 साल पहले किया गया था निर्माण

उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित गरतांग गली का निर्माण लगभग 150 साल पहले किया गया था।  दशकों पहले इसका प्रयोग भारत और तिब्बत के बीच व्यापार करने के लिए किया जाता था।

गरतांग गली, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित लकड़ी का एक आकर्षक लकड़ी का मार्ग है। माना जाता है कि गरतांग गली का निर्माण लगभग 150 साल पहले हुआ था।

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1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद यह लकड़ी का रास्ता बंद हो गया। फिर, गारतांग गली लगभग 50 वर्षों तक बंद रही। लेकिन  2021 में नवीकरण कार्य पूरा होने के बाद यह अंततः पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था।

खड़ी पहाड़ियों के बीच बना है लकड़ी का रास्ता

गरतांग गली   17वीं शताब्दी में पेशावर के पठानों द्वारा बनाई गई थी। यह लगभग 500 मीटर लंबा और लगभग 1.5 मीटर चौड़ा हुआ करता था। यह पैदल मार्ग लगभग 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और खड़ी पहाड़ियों के ठीक बीच में बना हुआ है।

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जहां से नजारा काफी भयानक, रोमांचकारी व जोखिम भरा लग सकता है. लेकिन यह लकड़ी का रास्ता वास्तव में अविश्वसनीय शिल्प कौशल का एक आश्चर्यजनक कलाकारी है।

1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद, नेलांग और जादुंग के गांवों को खाली कर दिया गया और गारतांग गली को जनता के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था।

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उसके बाद भारतीय सेना लगभग 10 वर्षों तक गारतांग गली का उपयोग करती रही, लेकिन 1975 में उन्होंने भी इस मार्ग का उपयोग भी बंद कर दिया। इसके बाद से करीब 50-60 साल तक इस रास्ते पर सारी गतिविधियां बंद रहीं।

2017 में शुरू किया गया नवीनीकरण

गरतांग गली वर्तमान समय में भारत और तिब्बत के बीच व्यापार का एकमात्र शेष साक्ष्य है।  हालाँकि, लगभग पाँच दशकों तक इसके बंद रहने के परिणामस्वरूप, इस मार्ग को काफी नुकसान हुआ था , जिससे इस पर यात्रा करना बेहद असुरक्षित हो गया है।

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2017 में, तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट ने सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें गारतांग गली की नवीनीकरण के  लिए वित्तीय सहायता की मांग की गई, जिसे बाद में मंजूरी दे दी गई।

इसके बाद, गारतांग गली का पुनर्निर्माण किया गया है और जुलाई 2021 तक उपयोग के लिए तैयार कर दिया गया था ।

हर दिन पहुंचते हैं सैकड़ों पर्यटक

गारतांग गली के निर्माण में लगभग 64 लाख रुपये का निवेश किया गया था, यह एक रोमांचकारी रास्ता है , जिसे नई लकड़ी का उपयोग करके कुशल कारीगरों द्वारा खूबसूरती से बनाया गया है।

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भागीरथी नदी से करीब 200 मीटर की ऊंचाई पर खड़ी पहाड़ी पर स्थित 136 मीटर लंबे और 1.8 मीटर चौड़े इस रास्ते को सरकार ने अब पर्यटकों के लिए खोल दिया है।

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