उत्तराखंड के युवा हितेश ने गाड़े सफलता के झंडे, दुनिया की सबसे ऊँची मैराथन पूरी कर बढ़ाया देवभूमि का मान

पहाड़ के युवा हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहराते नज़र आ रहे हैं, चाहे राष्ट्रीय स्तर हो या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पहाड़ का युवा हर क्षेत्र में देवभूमि का नाम रोशन कर रहा है।

कुछ ऐसा ही विशेष कर दिखाया है उत्तराखंड के चमोली जिले के युवा हितेश कुनियाल ने, जिन्होने अत्यधिक कठिन ‘द हिमालय खारदुंगला’ चैलेंज को सफलतापूर्वक पूरा किया है।

क्या यह चैलेंज वाकई में अत्यधिक कठिन चैलेंज है? आज हम आपको बताने जा रहे है की क्या है ये चैलेंज और कैसे हितेश कुनियाल ने इसका सामना किया और जीत हासिल की।

द हिमालय खारदुंगला चैलेंज :

द हिमालय खारदुंगला चैलेंज एक अत्यधिक कठिन और सबसे ऊँची अल्ट्रा मैराथन है, जिसमें धावकों को 72 किमी की मुश्किल ज़मीन पर दौड़ना होता है। यह चुनौतीपूर्ण दौड़ दुनिया की सबसे ऊँची अल्ट्रा मैराथन में से एक है जो धावक की सहनशक्ति की भी कठिन परीक्षा है।

इस मैराथन में करीब 60 KM की दौड़ 4000 मीटर (14000 feet) से ऊपर दौड़ी जाती है, ये परिस्थिति इतनी कठोर और कठिनाईयों से भरी होती है की इसमें भाग लेने वाले धावकों की संख्या 200 तक सिमित है।

हितेश ने बताया की उनकी दौड़ सुबह 3 बजे प्रारम्भ हुई, जिस समय तापमान एक डिग्री था, और ऊपर चढ़ते चढ़ते ये तापमान घाट कर शुन्य से भी निचे रह गया था। प्रतिभागियों को 12 से 13 घंटे के अंदर यह दौड़ को पूरा करने का समय दिया गया था।

इतनी ऊंचाई पर प्रतिभागियों को सांस लेने में बड़ी कठिनाई होती है क्योंकि इस ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी होती है जिसकी वजह से बहुत से प्रतिभागियों ये मैराथन दौड़ पूरी नहीं कर सके। वहीँ हितेश ने ये चैलेंज को 10 घंटे 40 मिनट में पूरा कर सफलता का परचम लहराया है।

हितेश जिले के दूरस्थ क्षेत्र देवाल के देवस्थली गांव से हैं और ये उनका लगातार दूसरा साल है जब उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची अल्ट्रा मैराथन रेस खारदुंगला को पूरा किया है।

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हितेश कुनियाल बने एक प्रेरणा स्रोत

हितेश कुनियाल, जो इवान टेक्नोलॉजी देहरादून में काम करते हैं, ने इस कठिन चुनौती का सामना किया है और अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त की है। वह कुशल धावक होने के साथ साथ एक समाजसेवी भी हैं.

हितेश समाज के प्रति भी समर्पित हैं, उनकी ‘द पीपल्स ग्रुप’ नामक संस्था पिछले दो सालों से विभिन्न सामाजिक कार्य कर रही है, जैसे- पशु चिकित्सा, पौधरोपण, स्वच्छता अभियान, गरीब बच्चों की शिक्षा और पहाड़ के स्कूलों में लाइब्रेरी की स्तापना जैसे महत्वपूर्ण काम कर रही है.

हितेश कुनियाल की ये सफलता एक प्रेरणास्त्रोत है और सिखाती है की किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है, अगर आप मेहनत और संघर्ष के साथ हों।

‘द हिमालय खारदुंगला’ चैलेंज का हितेश कुनियाल ने दिखाया है कि आपकी मेहनत और संघर्ष आपको उन ऊँचाइयों तक पहुँचा सकते हैं, जो आपने कभी सोचा भी नहीं था।

 

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