उत्तराखंड की होनहार अपनी प्रतिभा के दम पर पूरी प्रदेश का नाम ऊँचा कर रही है । आज हम आपको देवभूमि कि ऐसी ही
होनहार बेटी के बारे में बता रहे हैं .जिसने विपरीत परिस्थितियों से हार न मानकर न सिर्फ एक आईएएस अधिकारी बनने का मुकाम हासिल किया बल्कि वर्तमान में वह राज्य के एक जिले के जिलाधिकारी की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही हैं।
जी हां हम बात कर रहे है राज्य के बागेश्वर जिले के जिलाधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रही आईएएस अनुराधा पाल की। बता दें कि बागेश्वर की 19वीं जिलाधिकारी की जिम्मेदारी निभा रही आईएएस अनुराधा मूल रूप से राज्य के हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली है।
आईएएस अनुराधा इससे पूर्व सीमांत पिथौरागढ़ जिले के मुख्य विकास अधिकारी की जिम्मेदारी भी कुशलता पूर्वक निभा चुकी है। आईएएस अनुराधा पाल ने अपने पूरे जीवन और करियर में काफी संघर्ष किया , लेकिन विपरीत परिस्थतियों के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा किया .
2016 बैच की हैं आईएएस अधिकारी
आपको बता दें कि 2016 बैच की उत्तराखण्ड कैडर की आईएएस अधिकारी अनुराधा पाल ने अपने सपनों का बोझ कभी भी गरीब माता-पिता पर कभी भी नहीं आने दिया । गांव के एक बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली अनुराधा के पिता दूध बेचकर परिवार का भरण पोषण करतें थे।
अनुराधा ने जवाहर नवोदय विद्यालय हरिद्वार में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी, तत्पश्चात उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री ली।
अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के उपरांत ही अनुराधा ने महेद्रा टेक में नौकरी ज्वाइन कर ली थी इसके पश्चात उन्होंने लेक्चरर के रूप में कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की जॉइन किया यहां उन्होंने तीन वर्ष तक अपनी सेवाएं भी दी।
पहले ही प्रयास में पायी सफलता
आपको बता दें अनुराधा ने नौकरी छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला लिया और वे दिल्ली आ गई। आईएएस की कोचिंग के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ा-पढाकर पैसे जुटाए और उनसे अपनी कोचिंग क्लास की फीस दी।
वर्ष 2012 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली और उन्हें 451वीं रैंक हासिल हुई। जिस कारण उन्हें आईआरएस अधिकारी बनने का मौका मिला। करीब दो सालों तक इस पद पर नौकरी करने के साथ ही उन्होंने आईएएस बनने की तैयारियों को जारी रखा।
इसके लिए उन्होंने 2015 में फिर से यूपीएससी परीक्षा दी और इस बार उनकी ऑल इंडिया रैंक 62 आई और आईएएस बनाने सफलता पायी . बार-बार असफल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी, अंततः अपने कठिन परिश्रम के बलबूते सिविल सेवा परीक्षा 2015 में हिंदी माध्यम की टॉपर बन गई।
आपको बता दें अनुराधा ने अपनी पूरी सफलता का श्रेय अपनी मां को देती है। अनुराधा के अनुसार वो अपनी माँ के कारण ही आज इस मुकाम तक पहुंच सकी हैं ।