पूरे देश में प्राचीन मान्यता वाले मंदिरों को इस समय भव्यता का रूप दिया जा रहा है। काशी विश्वनाथ से लेकर उज्जैन महाकाल इन मंदिरों को नए तर्ज पर बनाया गया है जिससे यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों की यात्रा का अनुभव और भी आनंद में हो जाता है।
इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार द्वारा हरिद्वार ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर को बनाने का निर्णय लिया गया है। हॉस्पिटल में एडमिट आपको बता दें काशी विश्वनाथ और महाकाल उज्जैन कॉरिडोर की तर्ज पर ही अब हरिद्वार ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर का भव्य निर्माण किया जाएगा।
एक ही कंपनी बनाएगी मास्टर प्लान
हाल ही में प्रशासन द्वारा कैबिनेट मीटिंग में मुद्दे पर सहमति कीमोहर लगा दी गई है। आपको बता दें काशी विश्वनाथ और महाकाल कॉरिडोर को बनाने वाली कंपनी द्वारा ही गंगा कॉरिडोर का मास्टर प्लान बनाने के लिए सहमति बन गई है।
काशी विश्वनाथ, महाकाल की तर्ज पर अब हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर बनेगा। इन दोनों का प्लान बनाने वाली कंपनी को ही गंगा कॉरिडोर का मास्टर प्लान बनाने के लिए चयनित करने पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।
मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने घोषणा की है कि हरिद्वार और ऋषिकेश शहरों में वर्तमान में पुनर्विकास के प्रयास चल रहे हैं। इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए, हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर परियोजना लागू की जाएगी।
इन स्थानों पर होगा नवीनीकरण
यह पहल इन शहरों के भीतर विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें हरिद्वार में देवीपुरा से भूपतवाला (दूधाधारी चौक), हर की पैड़ी के आसपास का 1.5 किलोमीटर का दायरा, भूपतवाला से सप्तऋषि आश्रम (भारत माता मंदिर क्षेत्र) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कनखल क्षेत्र (दक्ष मंदिर और सन्यास रोड) भी इस परियोजना में शामिल हैं .
ऋषिकेश में संपूर्ण तपोवन, रेलवे स्टेशन के पास का मुख्य क्षेत्र, आईएसबीटी के आसपास का क्षेत्र और त्रिवेणी घाट के आसपास का क्षेत्र। इन स्थानों को उनके व्यापक पुनर्विकास को सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से परियोजना में शामिल किया गया है।
ढाई वर्ष में पूरा हो जाएगा काम
सरकार ने गंगा कॉरिडोर का काम ढाई साल की अवधि में पूरा करने के उद्देश्य से हरिद्वार ऋषिकेश पुनर्विकास कंपनी लिमिटेड की स्थापना की है। परियोजना की सुचारू प्रगति सुनिश्चित करने के लिए एक हाई पावर स्टीयरिंग कमेटी भी बनाई जाएगी, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे।
यह समिति परियोजना के लिए प्रशासनिक, वित्तीय और तकनीकी मंजूरी प्रदान करने के साथ-साथ इसके कार्यान्वयन की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी।।