Agarwal couple from Uttarakhand share the success of Chandrayaan-3
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चंद्रयान-3 की सफलता का अहम हिस्सा रहे उत्तराखंड की पौड़ी के ये अग्रवाल दंपति, 2006 से दे रहें हैं इसरो में सेवाएं

आज पूरा देश भारत के चंद्रयान – 3 की सफलता का जश्न मना रहा है देश के कोने कोने में लोग इसरो के इस अभियान की सफलता का श्रेय इसरो में काम करने वाले सभी वैज्ञानिकों वह इस प्रोजेक्ट में कार्यरत सभी कर्मचारियों को दे रहे हैं, जिन्होंने अपने कार्य से भारत का नाम पूरे दुनिया में ऊंचा किया है वह इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करा दिया है।

यूं तो चंद्रयान- 3  प्रोजेक्ट में कई लोगों ने अपना योगदान दिया जिसमें कई वैज्ञानिक व अन्य इसरो के सदस्य शामिल हैं। इन्हीं लोगों में शुमार है उत्तराखंड के ऐसे दंपति का नाम जिन्होंने chandrayaan- 3 को सफल बनाने में एक अहम योगदान दिया। और उत्तराखंड का नाम chandrayaan3 की सफलता के साथ जोड़ा।

जी हां ! हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल स्थित दुगड्डा गांव के रहने वाले दीपक अग्रवाल व पायल अग्रवाल की। यह दोनों दंपति chandrayaan- 3 की सफलता का अहम हिस्सा रहे और लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान इसरो के वैज्ञानिक सदस्यों के साथ उपस्थित रहे।

Chandrayaan-3:मिशन में उत्तराखंड के अग्रवाल दंपति भी रहे शामिल, सफलता के बाद कहा-ये गौरव का क्षण - Chandrayaan-3 Successful Landing Uttarakhand Husband Wife Deepak Agarwal And Payal Was ...

पौड़ी गढ़वाल से हैं संबंधित

उत्तराखंड के पौड़ी के दुगड्डा के रहने वाले अग्रवाल दंपत्ति, जिनमें दीपक अग्रवाल और पायल अग्रवाल शामिल हैं, ने चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने की ऐतिहासिक उपलब्धि में अभिन्न भूमिका निभाई है।

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अपने असाधारण कौशल और समर्पण का प्रदर्शन करते हुए, दोनों व्यक्ति प्रतिष्ठित चंद्रयान -3 परियोजना में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। दीपक अग्रवाल व पायल अग्रवाल ने चंद्रयान जी की सफलता पर वह इस मिशन का हिस्सा होने पर खुद को गौरवान्वित बताया है ।

विशेष रूप से, पायल को उस ऐतिहासिक क्षण के दौरान सम्मानित इसरो कार्यालय में उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जब विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के  दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करी।

प्रतिष्ठित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में कार्यरत अग्रवाल दंपति ने चंद्रयान-3 मिशन की पूरी यात्रा में, इसके प्रक्षेपण से लेकर चंद्र सतह पर इसके अंतिम टचडाउन तक, एक अभिन्न भूमिका निभाई है।

उन्होंने चंद्रयान की चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग पर बेहद खुशी और गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनके और देश दोनों के लिए बहुत गर्व का क्षण था। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि इस उल्लेखनीय उपलब्धि में उनका और उनकी पत्नी का नाम भी शामिल है।

Duggada , Pauri Garhwal , Uttrakhand - YouTube

इस उपलब्धि से उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है. इसके अतिरिक्त, उन्होंने साझा किया कि उन्होंने पहले मंगल मिशन, चंद्रयान-1, जीएसएलवी उड़ान के लिए क्रायोजेनिक इंजन के विकास और जीएसएलवी एमके-III मिशन में योगदान दिया था।

दुगड्डा से की  प्रारंभिक पढ़ाई

आपको बता दें 1979 में दुगड्डा के मोती बाजार में जन्मे इसरो वैज्ञानिक दीपक अग्रवाल ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जीआईसी दुगड्डा से इंटर की पढ़ाई की, इसके बाद पंतनगर विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और कानपुर से एमटेक किया।

वर्तमान में, वह इसरो के चंद्रयान मिशन-3 टीम का  अहम हिस्सा है। दीपक और उनकी पत्नी पायल अग्रवाल दोनों 2006 में इसरो में शामिल हुए।

वर्तमान में दीपक अग्रवाल की पत्नी पायल अग्रवाल इसरो के चंद्रयान मिशन-3 सॉफ्टवेयर टीम  की सदस्य हैं। वह पिथौरागढ़ जिले की रहने वाली हैं और दीपक का गांव दुगड्डा में उनका ननिहाल है। आपको बता दें उनकी शादी 2004 में हुई थी.

अपने गांव के स्कूल को लिया है गोद

दीपक अग्रवाल ने दुगड्डा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल को न केवल वित्तीय सहायता बल्कि छात्रों की शिक्षा की बेहतरी और समग्र विकास के लिए संसाधन भी प्रदान करने की इस स्कूल को गोद लिया है। इसके अलावा, उन्होंने निकट भविष्य में व्यक्तिगत रूप से स्कूल का दौरा करने और वहां के लोगों से जुड़ने की बात भी कही है।

दीपक अग्रवाल का मानना ​​है कि चंद्रयान-3 की सफलता  स्कूल में पढ़ने वाले युवा मन में विज्ञान के प्रति नई जिज्ञासा और उत्साह जगाने की कार्य करेगी। इस क्षेत्र में आगे और उम्मीदों को जन्म देगी।

 

 

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