उत्तराखंड के मिनी स्विट्ज़रलैण्ड कहलायी जाने वाले प्रसिद्ध चोपता घाटी में अब होगा ईको टूरिज्म का विकास, जिससे स्थानीय लोगो और पर्यटन को काफी फायदा मिलेगा।
पढ़िए पूरी खबर विस्तार में –
यहाँ दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ
चोपता अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। रुद्रप्रयाग जिले में स्तिथ अल्पाइन घास के मैदानों और वनों से घिरा एक अत्यधिक सूंदर स्थान है चोपता , प्रतिवर्ष लाखों पर्यटकों यहाँ खींचे चले आते हैं।
यहां दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ स्थित है, दर्शन हेतु हर साल लाखों की तादात में श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
तुंगनाथ मंदिर चोपता से 3 km की दुरी पर तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है, लोग पैदल यात्रा (Trek) करते हुए मंदिर तक पहुँच भोले नाथ के दर्शन करते हैं। उत्तराखंड के सबसे अधिक प्राकृतिक सुंदरता के धनि स्थानों में से एक है चोपता और इसी कारण इससे मिनी स्विट्ज़रलैंड भी कहा जाता है।
इसके अलावा विंटर टूरिज्म के लिए भी हजारों पर्यटक हर साल यहां आते हैं। ऐसे में व्यवस्थित टूरिज्म जोन विकसित होने से स्थानीय लोगो और राज्य सरकार दोनों को काफी लाभ मिलेगा।
साढ़े तीन करोड़ रुपए की लागत
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता घाटी में इको टूरिज्म जोन विकसित किया जाएगा। वन विभाग ने इसके लिए इको टूरिज्म बोर्ड को साढ़े तीन करोड़ रुपए की लागत का प्रस्ताव भेजा है।
प्रभागीय वनाधिकारी रुद्रप्रयाग अभिमन्यु ने बताया कि मुख्य सचिव ने सभी जिलों में इकोटूरिज्म जोन विकसित करने के निर्देश दिए हैं। वन विभाग द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर ईको टूरिज्म जोन के लिए चोपता घाटी एक उपयुक्त जगह है।
500 हैक्टियर का होगा क्षेत्रफल
चोपता का यह इको-टूरिज्म जोन 500 हैक्टियर क्षेत्रफल में तैयार किया जाएगा और इसमें NH-107A के आस-पास के रागसी, मक्कू और उषाडा आरक्षित वन के क्षेत्र को इसमें शामिल किया जाएगा।
जोन के मुख्य आकर्षण
इस इको-टूरिज्म जोन के मुख्या आकर्षण होंगे – इको पार्क, ट्री हाउस, बर्ड-इण्टरप्रेटेशन सेंटर और कल्चरल व हेरिटेज सेंटर।
इको-फ्रेंडली तरीके से किये जाएंगे इको-टूरिज्म जोन के विकास से जुड़े सभी कार्य। और यह सुनिश्चित किया जाएगा की प्रकृति के साथ कोई भी अनावश्यक छेड़छाड़ न की जाए।
फोटो प्वाइंट, साइनेज और जानवरों के थ्री डी माॅडल NH-107A के आस-पास लगाए जाएंगे। इको-पार्क को उषाडा वन पंचायत के आरक्षित वन क्षेत्र में विकसित किया जाएगा।
स्थानीय लोग करेंगे संचालन
इको टूरिज्म जोन के विकास में स्थानीय लोगों और वन पंचायत की अहम भूमिका होगी। इनकी मदद से ही कैम्पिंग साइट का संचालन, पार्किंग, एडवेंचर स्पोर्ट का संचालन, ट्रेकिंग, बर्ड वाचिंग गाइड, अपशिष्ट कूड प्रबंधन, अन्य कार्य वन विभाग की निगरानी में होंगे।
पर्यावरण संरक्षण और सुधार कार्य के लिए बुग्यालों को जियो जूट विधि से उपचार किया जाएगा। जल और मृदा संरक्षण कार्य भी किए जाएंगे। सुरक्षा और संचालन के लिए इन्टेंन्स प्लाजा, चेकपोस्ट का निर्माण किया जाएगा। अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी।
स्थानीय लोगों और पर्यटकों की सुविधा के लिए बायो-टाॅयलेट, फूड कैफे, टूरिस्ट इन्फाॅरमेशन बूथ, सोवेनियर शाॅप भी विकसित किए जाएंगे। वहीं औषधीय और सगंध पादपों के संरक्षण हेतु हर्बल गार्डन की भी स्थापना की जाएगी।
इस जोन में एक कल्चर एंड हेरिटेज सेंटर बनाया जाएगा। यह सेंटर स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करेगा। सेंटर पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करेगा।
इस सेंटर में पारंपरिक वेशभूषा, पुरातन औजार, क्षेत्र के हस्तकृति की झलक के साथ-साथ स्थानीय लोक कथा, धार्मिंक आस्था व आध्यात्मिक महत्व की जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
इससे स्थानीय लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। कैम्प साइट हेतु चयनित क्षेत्र में ही परमिट के आधार पर स्थानीय ग्रामीणों को सर्शत अनुमति दी जाएगी।
चोपता में इको टूरिज्म जोन का विकास स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए लाभकारी होगा। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है और इस विकास से यहां के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।