टमाटर ने बदल दी पिथौरागढ़ के इस किसान की किस्मत, टमाटर की खेती से बने लखपति

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Madan of Pithoragarh Tomato made a millionaire

कुछ दिनों से  टमाटर की कीमतों ने लोगों के बजट को बिगाड़ दिया है। लेकिन टमाटर की बढ़ती कीमत लोगों को परेशान कर रही है. एक तरफ जहां टमाटर की बढ़ी हुई कीमत कई लोगों के लिए आर्थिक बोझ बन गई है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने टमाटर की खेती से अच्छी खासी संपत्ति हासिल कर ली है.

टमाटर की बढ़ती कीमतें एक तरफ जहां लोगों को आर्थिक तकलीफ से दे रहे हैं। वहीं टमाटर की खेती करने वाले किसान इससे लाखों कमा रहे हैं।

टमाटर की खेती से बने लखपति

आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे ही किसान से मिलवाना चाहते हैं – मदन सिंह, जो मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के सिंतोली (जलटूरी) के रहने वाले किसान हैं। अपनी लगन और कड़ी मेहनत से उन्होंने न सिर्फ अपनी जमीन को एक समृद्ध उद्यम में बदल दिया है, बल्कि इस बार टमाटर की खेती ने उन्हें लखपति बना दिया है।

गौरतलब है कि वह इस सीजन में टमाटर बेचकर अब तक तीन लाख रुपये कमा चुके हैं और उनके खेत में अभी भी 25 क्विंटल टमाटर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं.

35 साल से कर रहे हैं खेती

मदन सिंह ने पिछले 35 साल से खेती को आमदनी के जरिए के रूप में अपना रखा है . वह अपने गांव के पूर्व प्रधान भी रहे हैं। इस वर्ष, उन्होंने अपनी 30 नाली भूमि पर इंडो अमेरिकन नवीन 2000 प्लस टमाटर के दो हजार से अधिक पौधे लगाने की का फैसला किया। और उनका यह फैसला उनकी अच्छी किस्मत लेकर आया।

क्योंकि इस वर्ष टमाटर की खेती करके मदन को अपनी उपज का एक बहुत ही अच्छा मूल्य मिला जिससे उनकी आय में लाखों की वृद्धि है।  मदन ने अब तक 50 कुंटल टमाटर अपने खेतों में उगा कर बेचे हैं। जिससे उन्हें काफी अच्छी कमाई हो चुकी है।

300000 से अधिक की कर चुके हैं कमाई

उनके खेत में उगाए गए टमाटर की बिक्री द्वारा अब तक उन्हेंl लाखों प्राप्त कर चुके हैं। जिसमें खेती में लगाए गए धन के खर्च को काटने के बाद भी वह ₹300000 से अधिक की कमाई कर चुके हैं। इतना ही नहीं, उनके खेतों से अभी भी लगभग 25 क्विंटल टमाटर की कटाई बाकी है।

इसके अतिरिक्त, मदन ने अपने खेतों में गोभी, शिमला मिर्च और बैंगन की खेती करके अपने कृषि प्रयासों में विविधता ला दी है, इन सभी को बाजार में अच्छी कीमतें मिल रही हैं। आपको बता दें मदन सिंह के तीन बेटे हैं और तीनों ही नौकरी पेशा है। अपने बच्चों का खेती के बजाय नौकरी को चुनने के निर्णय पर मदन सिंह कहते हैं कि यह उनकी अपनी इच्छा है और वह जब तक शारीरिक क्षमता है खेती करते रहेंगे।

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