इसी क्रम मे आज हम आपको रूबरू करा रहे हैं अल्मोड़ा के कमल पांडे और नमिता टम्टा से ।
नमिता और कमल दोस्तों ने मिलकर आइटी सेक्टर में अच्छे पैकेज की नौकरी को छोड़ कर मशरूम उत्पादन का रोजगार शुरू किया जिसे बाद में इन्होने मशरूम का अचार-चटनी, मेडिशनल मशरूम की चाय आदि तैयार करने तक विस्तारित कर लिया है ।
लॉकडाउन ने बदली किस्मत
अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लाक के छोटे से गांव ढौरा के कमल पांडे और फाइन आर्ट्स की छात्रा थानाबाजार निवासी नमिता टम्टा ने एक साथ साल 2020 लॉकडाउन के समय इस स्टार्टअप का प्लान बनाया था। जिसके तहत इन दोनों ने रेशीय औषधि मशरूम का उत्पादन शुरू किया है ।
इस काम में इन्होने काश्तकार और महिलाओं को भी रोजगार दिया है । आपको बता दें कमल ने 10 साल आइटी सेक्टर में नौकरी करने के बाद यह काम शुरू किया है ।
कई लोगों को मिला रोजगार
कमल पांडे और नमिता टम्टा ने अपने इस स्टार्टअप द्वारा 300 काश्तकारों के साथ 30 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया है। इसके साथसाथ दोनों ने पंतनगर विश्वविद्यालय के कृषि के छात्र-छात्राओं को तीन माह की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा नमिता और कमल जैसे युवा ही आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में प्रेरणादायक काम कर रहे हैं।
मशरूम उत्पादन से की शुरुआत
नमिता और कमल ने अल्मोड़ा के पपरसली में लीज में रहकर मशरूम उत्पादन का ट्रायल किया था । कमल और नमिता ने मशरूम की चाय समेत बटन मशरूम आदि के लिए कार्य किया है ।
फिर उन्होंने बाबा एग्रोटेक से स्टार्टअप शुरू कर पहली बार मशरूम उत्पादन शुरू कर किया ।
उसके बाद नमिता और कमल ने मशरूम का अचार-चटनी, मेडिशनल मशरूम की चाय आदि बनाना शुरू किया। उनके दवरा बनाया गया अचार चटनी उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा आदि समेत कई राज्यों में पहुंच रहा है।
नमिता और कमल के उत्पादित किये जाने वाले औषधीय मशरूम अन्य मशरूम की तुलना में अधिक महंगे होते हैं। उदाहरण के लिए, एक किलोग्राम रेशमी मशरूम की कीमत 10,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच हो सकती है।
अब इनके संगठन में कुल 300 किसान हैं, साथ ही 30 से अधिक महिलाएं हैं जो स्वरोजगार कर चुकी हैं।