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उत्तराखंड के पौड़ी जिले के इन दंपति ने सेब व् कीवी की खेती से किया कमाल, आसपास के किसानों के लिए बने प्रेरणा स्रोत

जहाँ एक तरह लोग पहाड़ो से पलायन कर रहे हैं, खेती से मुँह मोड़ रहे लोग शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं, खेत बंजर हो रहे हैं और ये सब देखने और सुनने में काफी दुखद लगता है ऐसे में पौड़ी गढ़वाल के एक दम्पति की प्रेरित करने वाली कहानी सामने आयी है ।

पौड़ी गढ़वाल के मटकुंड गांव के कर्मठ दंपति विजयपाल चंद और उनकी पत्नी धनी कांति चंद ने बंजर खेतों में कीवी और सेब की खेती करके कैसे गाँव में रहकर आत्मनिर्भर बना जाए उसकी एक मिसाल कायम की है। उनकी इसी स्वरोजगार सफलता ने कई पहाड़ी लोगों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया है।

सेव और कीवी की खेती से हुए प्रसिद्ध

विजयपाल और उनकी पत्नी ने दस साल पहले गांव में बगीचा लगाने का फैसला किया। उन्होंने 100 नाली से ज्यादा जमीन पर सेब के पेड़ लगाए। पति पत्नी ने मिलकर कड़ी मेहनत और लगन से अपने बगीचे को विकसित किया और अब उनके सेब पूरे इलाके में प्रसिद्ध हैं। बागवानी ही इनके परिवार की आय का प्रमुख स्त्रोत है।

सेब की खेती में सफलता और अच्छी आमदनी से इनका हौंसला और बुलंद हुआ और फिर एक कदम और आगे बढ़ते हुए विजयपाल ने 50 नाली जमीन पर कीवी का उत्पादन भी शुरू कर दिया। उनकी कीवी भी अच्छी गुणवत्ता की है और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।

आसपास के लोगों को करते हैं जागरूक

विजयपाल और उनकी पत्नी की सफलता ने कई लोगों को प्रभावित किया है। आस-पास के गांवों के लोग भी अब उनके पास बागवानी के तरीके और उससे जुडी ज्ञान की बातें उनसे सीखने आते हैं ।

कांति चंद : चुनौतियों के बीच कुशल गृहिणी से सफल बागवान बनने की कहानी - Pen Point

विजयपाल  ने अपनी पत्नी के साथ इस काम को सफलता पूर्वक करके ये साबित किया है की अगर आप में मेहनत करने का जुनून है तो बंजर खेतों में भी सोना उगाकर हर पहाड़ी आत्मनिर्भर बन सकता है।

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