Uttarakhand Chief Justice of High Court: पहले उन्होंने स्वयं को कुर्सी पर बैठने का आदेश दिया और बाद में उसी निर्देश का पालन करने के लिए वे विनम्रतापूर्वक झाड़ू लेकर सड़क पर उतर गए। जी हाँ ! उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी किया जिसमें न केवल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बल्कि पूरे राज्य के न्यायिक अधिकारियों को सड़क चौराहों और जंगलों की सफाई के महान कार्य में में जुट गए । उल्लेखनीय है कि इस सराहनीय प्रयास में समाज के सभी संगठन और क्षेत्र एकजुट हुए हैं।
आपको बता दें राज्य भर के न्यायाधीशों ने राज्य में स्वच्छता और प्लास्टिक पर प्रतिबंध को बढ़ावा देने के लिए इसे अपने ऊपर ले लिया है। इस प्रयास का नेतृत्व उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने किया और इसमें नगर पालिकाओं और जिला पंचायतों सहित कई संगठनों के साथ-साथ राज्य भर के न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों को शामिल किया गया। Uttarakhand Chief Justice of High Court:

हाईकोर्ट के जज न्यायिक अधिकारी कूड़ा उठाते नज़र आए और चौक चौराहों से लेकर सड़कों और नालियों से कचरे को साफ किया गया. महात्मा गांधी को साक्षी मानकर अभियान की शुरुआत की गई और पूरे नैनीताल के साथ प्रदेश में स्वच्छता अभियान चलाया गया.
सफाई अभियान से पहले हाईकोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने सभी को पर्यावरण को साफ रखने की शपथ दिलाई और पर्यावरण मित्रों को सम्मानित किया. पहली बार न्यायपालिका द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने भी भाग लिया. Uttarakhand Chief Justice of High Court:
उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि संविधान में जो मौलिक अधिकार हैं, उसमें आर्टिकल 21 सबसे महत्वपूर्ण है, जिससे सभी को राइट टू लाइफ की लिबर्टी मिलती है. सिर्फ जिंदा रहना राइट टू लिबर्टी नहीं है, बल्कि हम सबको अधिकार है कि एक अच्छी जिंदगी जी सकें और साफ पर्यावरण स्वच्छता भी इसमें शामिल है.
मुख्य न्यायाधीश ने स्वच्छ वातावरण बनाए रखने के महत्व को व्यक्त किया और इस बात पर जोर दिया कि इस कारण से योगदान देना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। Uttarakhand Chief Justice of High Court: